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गुरुद्वारा गुरु का ताल में हुआ युद्धकला का अभ्यास

Update: 2017-12-14 00:00 GMT

-गोविन्द सिंह के प्रकाश पर्व पर होगा प्रदर्शन

17 दिसम्बर को शहर में निकलेगा नगर कीर्तन


आगरा। कोई हवा से तेज तलवार घुमाता, तो कोई इस तलवार के वार से बचने के लिए हवा में कई फीट जमीन से उछल जाता। कोई कटार से वार करता, तो कोई दोनों हाथों से तलवार के वार को बचाता। ये था प्राचीन युद्धकला का प्रदर्शन। गुरुद्वारा गुरु का ताल स्थित रणजीत सिंह अखाड़े में सिख मार्शल आर्ट के अभ्यास में सिंहों ने प्राचीन युद्धकला को एक बार फिर जीवंत कर दिया। यह तैयारी थी श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव के अवसर पर निकलने वाले विशाल नगर कीर्तन की।

सिखों के केंद्रीय संस्था श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा माईथान के बैनर तले दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर 17 दिसंबर को गुरुद्वारा माईथान से सदर स्थित गुरुद्वारा कलगीधर तक परंपरागत विशाल नगर कीर्तन निकाला जाएगा।

 इस विशाल नगर कीर्तन की तैयारियों को लेकर गुरुद्वारा गुरु का ताल में प्राचीन युद्धकला का शिविर लगाया गया। इस अखाड़े में संत सिपाही रणजीत अखाड़ा द्वारा सिख मार्शल आर्ट का अभ्यास किया गया। छठवें गुरु श्री हरगोविंद साहिब व दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा प्रयुक्त व प्रचारित पुरातन अस्त्रों शास्त्रों का प्रदर्शन करना सिखाया। इनमें ढाल से विरोधी के प्रहार को बचाना, पट्टा, कंडयाला, सैफ, जमदाड, तलवार, किर्च, खंडा, कुल्हाडी, कटार, भाला, लाठी व चक्कर को कैसे युद्ध कला में प्रयोग किया जाता है, इसका अभ्यास कराया।

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