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नीति से ज्यादा मोदी सरकार की नेकनीयत का सबूत : मनीष खेमका

Update: 2017-11-07 00:00 GMT


 नई दिल्ली। ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की नेकनीयत का सबूत है।’ ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के अध्यक्ष मनीष खेमका का यही कहना है। नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर इसके नतीजों की समीक्षा करते हुए ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के अध्यक्ष मनीष खेमका ने कहा नोटबंदी की सिफारिश पहली बार वास्तव में कांग्रेस के शासनकाल में की गई थी। 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को वांगचू समिति ने यह सलाह दी थी। लेकिन इसे लागू करने का साहस मोदी सरकार ने दिखाया। राजनीतिक जोखिम से भरा यह कदम निश्चित ही नीति से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेकनीयत का सबूत है। उन्होंने कहा बड़े राजनीतिक फैसलों को सिर्फ नतीजों नहीं बल्कि नीयत की कसौटी पर भी परखा जाना चाहिए। नतीजों के बाद आरोप लगाना आसान है लेकिन पहले फैसला लेना बहुत कठिन होता है।

खेमका ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। शेयर बाज़ार और विदेशी निवेश ऐतिहासिक ऊँचाई पर है। करदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है। 2012-13 में देश में 2.9 करोड़ करदाता थे। अब देश में कुल 6.85 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं। अघोषित आय के सामने आने के बाद राजस्व 3.7 लाख करोड़ रूपए बढ़ा है। जबकि मई 2012 में लोकसभा में पेश मनमोहन सरकार के श्वेतपत्र के मुताबिक़ स्विस बैंकों में 2010 में भारत का सिर्फ 9295 करोड़ रूपए ही काला धन मौजूद था। इन उपलब्धियों के बावजूद देश के लिए हितकारी नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर नकारात्मक राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है।

खेमका के मुताबिक टैक्स एमनेस्टी स्कीम, नोटबंदी और जीएसटी की सफलता के साथ उसकी कुछ समस्याओं पर आत्मचिंतन भी सरकार के लिए अावश्यक है। कारोबार में सुस्ती और बेरोजगारी की समस्या इनमें प्रमुख हैं। खुद प्रधानमंत्री ने भी इसकी आशंका जताई थी। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों से तुलना करने पर लगता है थोड़ी सूझबूझ से करों की दर कम रखने से देश को बेहतर नतीजे हासिल हो सकते थे। एक ही समय में भारत से आधे जीडीपी वाले देश इंडोनेशिया में टैक्स एमनेस्टी स्कीम से करीब 21 लाख करोड़ रूपए की छिपी संपत्ति घोषित हुई। यह भारत के सालाना राजस्व के बराबर है। वहीं भारत में यह आंकड़ा 65 हज़ार करोड़ पर ही सिमट गया। इंडोनेशिया में टैक्स एमनेस्टी की दरें काफी कम, 2 से 10 प्रतिशत तक ही थीं। जबकि भारत में यह 45 प्रतिशत थी। कर की दर कम होने के कारण जुलाई 2016 से मार्च 2017 तक चली इंडोनेशिया की टैक्स एमनेस्टी स्कीम विश्व की सफलतम स्कीमों में एक रही है। जिसमें लोगों ने रिकॉर्ड आय घोषित की।

खेमका ने कहा कि टैक्स से खजाना भरने के बाद सरकार को अब करदाताओं को अमेरिका जैसे विकसित देशों की तरह सोशल सिक्योरिटी भी उपलब्ध करानी चाहिए। यह करदाताओं का हक भी है। जिसके तहत उन्हें मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी मूलभूत सामाजिक सुरक्षा मुहैय्या कराई जाती हैं। नागरिकों से ईमानदारी की उम्मीद के साथ ही सरकार को अपना यह कर्तव्य भी ईमानदारी से निभाना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग आयकर देने को प्रेरित होंगे।

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