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मिनटों में पहाड़ों को चीर देती है ये विशालकाय मशीन

Update: 2017-11-07 00:00 GMT


नई दिल्ली।
तमाम विरोधों के बावजूद जर्मनी की कोल माइंस गार्जवेलर में कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया है। इसके लिए सरकारी कंपनी ने जर्मनी की सबसे बड़ी एक्स्क्वेटर मशीन भी उतार दी है, जिसके विरोध में कंस्ट्रक्शन साइट पर हजारों लोग विरोध के लिए जमा हो गए हैं। बता दें, गार्जवेलर की कोल माइंस हमेशा से विवादों में रही है। पर्यावरण की नजरिए से ये कोल माइंस कुछ ही किमी दूर रहने वाले हजारों लोगों के लिए भी खतरा है। इसके चलते लोग इसका विरोध कर रहे हैं। लोगों के विरोध के साथ जर्मन मीडिया में यहां उतारी गई एक्स्क्वेटर मशीन की भी चर्चा हो रही है। मिनटों में ही पहाड़ चीर देती है ये एक्सवेटर मशीन। जर्मन की इस एक्स्क्वेटर मशीन का उपयोग आमतौर पर कोल माइंस में ही किया जाता है।

इतना ही नहीं, यह मशीन इतनी पॉवरफुल है कि इससे पहाड़ भी चीर दिए जाते हैं। इस भीमकाय मशीन का निर्माण 2005 में हुआ था। प्राकृतिक व खनिज संसाधनों से भरपूर जर्मनी में मशीनीकरण बहुत ज्यादा है, जिसमें ये अब तक की सबसे पावरफुल मशीन है।

इसके अलावा जर्मनी के सरहदी इलाकों में लंबे समय तक भीषण ठंड पड़ती है। इसके चलते यहां इंसानों से ज्यादा मशीनों की जरूरत होती है। सारी सुविधाओं से लैस इस मशीन में सैकड़ों कर्मचारियों के कई दिनों आराम से रहने की भी व्यवस्था है।

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