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जब तक मैं जिंदा हूं, बिहार में नहीं बिकेगी शराब

Update: 2017-11-28 00:00 GMT

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में आयोजित नशामुक्ति कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जब तक जिंदा हूं, बिहार में शराबबंदी जारी रहेगी। नीतीश ने कहा कि समाज सेवा का काम करने पर लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं, लेकिन हम रुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में मजबूती के साथ शराबबंदी को लागू किया गया है।  इससे न केवल परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, बल्कि अपराध, घरेलू हिंसा और सडक हादसों में कमी आई है। नीतीश ने कहा कि पहले मानसिक हिंसा का प्रतिशत 79 था, जो अब मात्र 11 प्रतिशत रह गया है।

150 रुपये शराब में गंवा देते थे

नीतीश ने कहा कि 2015-16 में राज्य सरकार को शराब से कुल 5 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। लोगों के जेहन में यह बात आती थी कि शराबबंदी के बाद इसकी भरपाई कैसे हो सकती है? इससे लोगों की जेब से 10 हजार करोड़ रुपये चला जाता था। ज्यादातर पैसा लोग शराब में गंवाते थे, जो प्रतिदिन 200 रुपये कमाता था, वह 150 रुपये शराब में गंवा देता था। चंद अमीर लोगों को तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आमजन इससे परेशान थे। घर पर शाम को झगडा होता था और घर की हालत चिंताजनक थी।

सत्रह कर्मचारियों पर कार्रवाई

नीतीश ने कहा कि मद्य निषेध विभाग ने 17 कर्मियों पर प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की है। 8 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। पुलिस विभाग ने 242 कर्मियों पर कारवाई की है। 29 को सेवा से बर्खास्त किया है। 80 पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया है। 15 पुलिस अफसरों को 10 साल तक थाने की पोस्टिंग से वंचित रखा गया है।

मानसिक उत्पीड़न 79 फीसदी थी

ग्रामीण बिहार में महिलाओं और बालिकाओं के जीवन पर पूर्ण मद्य निषेध के आकलन से संबंधित रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मद्य निषेध के पहले जहां महिलाओं में मानसिक हिंसा 79 प्रतिशत थी, वह अब कम होकर 11 प्रतिशत पर आ गई है। मौखिक हिंसा 73 प्रतिशत से घटकर 14 प्रतिशत, शारीरिक हिंसा 54 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत, आर्थिक हिंसा 70 से घटकर 6 प्रतिशत, यौन हिंसा 15 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत और शारीरिक प्रताडना के साथ यौन हिंसा 17 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पता चलता है कि शराबबंदी का किस तरह का सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ रहा है।

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