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भ्रष्ट अधिकारियों की जांच लटकाने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

Update: 2017-11-27 00:00 GMT

भोपाल। भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त, लापरवाह और अनुशासनहीनता करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के विभागीय जांच के मामलों में बिना किसी ठोस कारण के छह माह से अधिक देरी की तो अब इसके लिए जांच अधिकारी की भी विभागीय जांच शुरू की जाएगी। राज्य सरकार अगले साल से यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू करने जा रही है। होता यह है कि किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को अनियमितता के लिए दोषी पाए जाने पर अधिकारी उसकी विभागीय जांच तो शुरू कर देते हैं लेकिन समय पर उनका निपटारा नहीं हो पाता जिसके चलते सरकारी खजाने को हुए नुकसान की समुचित भरपाई नहीं हो पाती और कई बार बिना सजा के सेवानिवृत्त हो जाता है। इसलिए विभागीय जांच के मामलों को समयसीमा में निपटाने के लिए अब छह माह में प्रकरणों का निपटारा करने की बाध्यता की जाएगी। मई 2018 में इन प्रकरणों की उच्च स्तरीय समीक्षा की जाएगी और छह माह से अधिक समय से लंबित प्रकरण मिलेंगे तो इसके लिए दोषी जांच अधिकारियों की विभागीय जांच शुरू की जाएगी।

बैस के फार्मूले पर अमल की तैयारी

अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने सरकारी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रकरणों में समयसीमा में कार्रवाई के लिए सिफारिशें की हैं। उन्हें भी सरकार लागू करेगी। इसके तहत विभागीय जांच, अभियोजन स्वीकृति, नोटिस जारी करने की समयसीमा उन्होंने तय की है। इसमें दोषी अधिकारी को निर्धारित अवधि में जवाब देने और उसके आधार पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय की गई है। तीस दिन से लेकर 180 दिन की समयसीमा उन्होंने कार्रवाई के लिए तय की है।

लंबित जांच के मामले

नियम 16 के तहत कुल 542 प्रकरणों में से जांच के 473 प्रकरण अर्थात 87 फीसदी समयसीमा के बाहर के हैं। नियम 14 के अंतर्गत कुल 782 प्रकरणों में से जांच के 739 प्रकरण अर्थात 94 फीसदी प्रकरण समय सीमा के बाहर के हैं।

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