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अमेरिका ने भारी भरकम रक्षा बजट पर लगाई मुहर, भारत से बढ़ेगा सहयोग

Update: 2017-11-18 00:00 GMT


वाशिंगटन।
उत्तर कोरिया से युद्ध के हालात के बीच अमेरिकी संसद ने शुक्रवार को वर्ष 2018 के लिए 700 अरब डॉलर (45.5 लाख करोड़ रुपये) के भारी भरकम सालाना रक्षा बजट पर मुहर लगा दी। पिछले वर्ष की तुलना में अमेरिका ने अपना रक्षा बजट 15 प्रतिशत बढ़ाया है। इसमें पाकिस्तान को रक्षा सहायता देने पर कड़ी शर्तों का प्रावधान किया गया है, वहीं भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने का सरकार को निर्देश दिया है। अमेरिका का रक्षा बजट चीन के रक्षा बजट से तीन गुना से ज्यादा बड़ा है, जबकि भारत के रक्षा बजट से दस गुना से ज्यादा है।  छह साल का सबसे बड़ा रक्षा बजट स्वीकृत करके अमेरिकी संसद ने जता दिया है कि आने वाला वर्ष उसकी नीतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहने वाला है। अमेरिकी इतिहास में वर्ष 2010 और 2011 में ही इससे ज्यादा रक्षा बजट रहा है। 2018 नेशनल डिफेंस आॅथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) नाम के बजट प्रस्ताव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई दक्षिण एशिया नीति के चलते आखिरी समय कई बदलाव किए गए। इसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों ने ध्वनि मत से पारित किया।

भारत से मजबूत होगी रक्षा साझेदारी

एनडीएए ने साफ कहा है कि अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भारत को बड़े रणनीतिक साझीदार की सामान्य परिभाषा से हटकर और बड़ी भूमिका में देखें। संसद के रुख से आह्लादित वरिष्ठ रिपब्लिकन सांसद टेड क्रूज ने कहा कि 21 वीं सदी अमेरिका और भारत के सहयोग को नई ऊंचाइयों पर देखेगी। मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग और संयुक्त विकास कार्यक्रमों को और बढ़ाए जाने की जरूरत है। प्रक्रिया के दौरान क्रूज ने भारत की भूमिका को खास बनाने के लिए एक संशोधन भी पेश किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। क्रूज ने यह संशोधन सीनेटर मार्क वार्नर के साथ मिलकर पेश किया था। एनडीएए ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि भारत को लेकर वह एक भविष्योन्मुखी रणनीति बनाए। इससे दोनों देशों के रक्षा संबंधों को आने वाले समय की चुनौतियों के अनुरूप विकसित किया जा सकेगा। पारित प्रस्ताव के अनुसार दोनों देश अफगानिस्तान में और ज्यादा सहयोग बढ़ाकर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए कार्य करेंगे। दोनों देश अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और वहां के आधारभूत ढांचे के विकास में सहयोग करेंगे। मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन को बढ़ाएंगे। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने सन 2017 के बजट में भारत को बड़े रक्षा सहयोगी के रूप में प्रस्तुत किया था। लेकिन अब संसद चाहती है कि इस दर्जे को निकटतम सहयोगी देश की हद तक आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास से लेकर सभी क्षेत्रों में सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए कहा गया है।

कड़ी शर्तों के साथ मिलेगी पाक को मदद

एडीएए-2018 में पाकिस्तान के लिए 350 मिलियन डॉलर (2277 करोड़ रुपये) की रक्षा सहायता का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसे अमेरिका के रक्षा मंत्री के प्रमाणन से जोड़ दिया गया है। जब आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई को अमेरिका के रक्षा मंत्री प्रमाणित करेंगे, तभी विभिन्न मदों में यह सहायता पाकिस्तान को दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष और 2016 में कई मौकों पर रक्षा मंत्री के प्रमाणन के इन्कार के बाद अमेरिकी संसद पाकिस्तान को रक्षा सहायता रोक चुकी है।

पारित प्रस्ताव में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों के हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा पर बारीकी से नजर रखने के लिए भी रक्षा मंत्रालय से कहा गया है। पाकिस्तान में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भी नजर रखे जाने की आवश्यकता जताई गई है।

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