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कैंसर के रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

Update: 2017-11-12 00:00 GMT

लखनऊ। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे लोगों को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के एक चिकित्सक ने बड़ी खुशखबरी दी है। कैंसर को प्रारम्भिक स्तर पर ही पता लगाने के लिए एक एक नई तकनीक इस महिला डाॅक्टर के हाथ लगी है। अपने शोध में उन्होंने ब्लैडर कैंसर के एक नये जीन्स की खोज की है, जो कैंसर के रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

केजीएमयू की शोध छात्रा डा0 मोनिका शंखवार ने मनुष्य के शरीर में सीवाईपी नामक नये जीन्स की पहचान की है। डा0 मोनिका का कहना है कि उनका यह नया शोध यूरेनरी सिस्टम के कैंसर की बीमारी के रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

हिन्दुस्थान समाचार से वार्ता करते हुए इस शोध छात्रा ने शनिवार को यहां बताया कि हाल में हुए शोध में पचा चला है कि सीवाईपी नामक जीन्स अधिकतर लोगों में पाया जाता है। लेकिन, इस जीन्स वाला व्यक्ति यदि धूम्रपान करता है तो उसमें कैंसर होने की संभावनाएं सबसे अधिक होती हैं।

इस चिकित्सक ने दावा किया है कि यूरेनरी सिस्टम के कैंसर (ब्लैडर कैंसर) के प्रमुख कारक सीवाईपी नामक जीन्स ही हैं। उनकी खोज से इस जानलेवा ब्लैडर कैंसर के विकास की प्रक्रिया को समझने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान जरूरी आंकड़े जुटाये गये इसके बाद कैंसर का जोखिम पैदा करने वाले इस जीन्स का पता चला।

डा. मोनिका के शोध निर्देशक प्रो. एसएनएस शंखवार ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि यह शोध केजीएमयू में भर्ती 240 मरीजों पर किया गया। उन्होंने बताया कि अगर किसी के अन्दर सीवाईपी नामक जीन्स है तो उसे सावधान रहने की जरूरत है। इस जीन्स का पता लगाने के लिए व्यक्ति के खून की जांच की जाती है, जिसे जीन पोलीमारफिज्म टेस्ट कहा जाता है। उन्होंने बताया कि यह जांच केजीएमयू में भी उपलब्ध है। विश्वविद्यालय डा. मोनिका के इस शोध को पेटेन्ट कराने के लिए अब प्रयासरत है।

गौरतलब है कि कैंसर की समस्या इस समय पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। खासकर भारत में इसका जोखिम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। हालांकि, इसके अनेक जटिल कारण हैं, लेकिन सीवाईपी नामक जीन्स को शोध में सबसे बड़ा कारण माना गया है। वैसे कैंसर के कई मामलों में यह भी देखा गया है कि स्वास्थ्यप्रद भोजन, नियमित शारीरिक गतिविधियों और तंबाकू आदि के सेवन से दूर रहने की दशा में भी इसका इलाज संभव है।

प्रो. एसएनएस शंखवार ने बताया कि इस खोज से हमें यूरेनरी सिस्टम के कैंसर से संबंधित कई गहन जानकारियां हासिल हुई हैं। केजीएमयू के लिए यह महत्वपूर्ण है कि अब हम नये जीन्स और यूरेनरी सिस्टम के कैंसर पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को हम जानने लगे हैं। उन्होंने केजीएमयू के लिए इसे बड़ी उपलब्धि मानी है।

 

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