असम से 42 हजार रोहिंग्या लापता !

Update: 2017-10-07 00:00 GMT

गुवाहाटी। रोहिंग्या शरणार्थियों की घुसपैठ के खतरे के बीच असम में पुलिस ने उन 42 हजार विदेशियों की तलाश तेज कर दी है जो राज्य में प्रवेश के बाद गायब हो गए थे। फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स ने इन्हें विदेशी घोषित किया था। ये लोग 1985 से गायब है। असम में बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ बड़ा मसला है। स्पेशल डीजीपी बॉर्डर आरएम सिंह का कहना है कि अवैध प्रवासी एक्ट 1983 (आईएमडीटी)के तहत,जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में रद्द कर दिया था, यह राज्य का दायित्व है कि वह यह साबित करे कि व्यक्ति विदेशी है या नहीं। हालांकि फॉरेनर्स एक्ट के तहत आरोपी को नागरिकता साबित करनी होती है। सिंह ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में पुलिस ने 2,500 विदेशियों को पकड़ा है, जो गायब हो गए थे। करीब 42 हजार फॉरेनर्स हैं जो अभी भी राज्य में गायब हैं।

असम में करीब 100 फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स आॅपरेट कर रहे हैं। राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने अंडर परफॉर्मेंस के कारण फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स के 19 सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। साथ ही 15 अन्य सदस्यों को प्रदर्शन में सुधार के लिए कहा है। मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल ने कहा कि अगर ये जज 6 महीने में अपनी परफॉर्मेंस में सुधार करने में विफल रहते हैं और लंबित मामलों को संतोषजनक ढंग से नहीं निपटाते हैं तो उन्हें हटा दिया जाएगा। राज्य सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर और इस साल जून के बीच 4,84,381 मामले फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स को रेफर किए गए। 86,489 लोगों को विदेशी घोषित किया गया। इनमें से 29,663 को वापस धकेला गया, 71 को वापस बांग्लादेश भेजा गया, 833 डिटेंशन कैंप्स में रह रहे हैं,जो निष्कासन के लिए इंतजार कर रहे हैं। 41,033 का पता नहीं चल पाया है। राज्य सरकार का दावा है कि ट्रिब्यूनल्स ने जब उनके खिलाफ आदेश दिया तो उनमें से ज्यादातर फरार हो गए। इनमें से शायद कुछ की मौत हो गई है। आॅल असम स्टूडेंट्स यूनियन(आसू) और केन्द्र के बीच असम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। समझौते के तहत 24 मार्च 1971 की मध्यरात्रि अवैध प्रवासियों के डिटेंशन और डिपोर्टेशन के लिए कट आॅफ डेट फिक्स की गई थी। इस वक्त फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स में 1,87,985 मामले लंबित हैं। फरवीर में 2,01,928 मामले लंबित थे। ट्रिब्यूनल्स की ओर से मामलों के निपटारे की दर में सुधार हुआ है। ट्रिब्यूनल्स की संख्या 2015 में 36 से बढ़ाकर 100 की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने 500 टास्क फोर्सेज गठित की। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासियों की जिला स्तर पर पहचान करने और उन्हें वापस भेजने का निर्देश दिया था। अप्रेल 2015 से टास्क फोर्स काम कर रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अवैध प्रवासियों के मसले को सुलझाने का दावा किया था।

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