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टाटा समूह के हाथ फिर आएगी एयर इंडिया की कमान!

Update: 2017-10-11 00:00 GMT

नई दिल्ली। आज से 85 साल पहले एयर इंडिया की स्थापना करने वाले टाटा ग्रुप को कंपनी का नियंत्रण छोड़ना पड़ा था, लेकिन टाटा ग्रुप अब फिर से एयर इंडिया को अपना हिस्सा बनाना चाहता है। अगर टाटा ग्रुप एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लेता है तो वह एयर इंडिया का स्वामित्व उसके राष्ट्रीयकरण होने के 64 साल बाद पा लेगा। सरकार घाटे में चल रहे एयर इंडिया को बेचने की तैयारी में है। टाटा सन्स ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना 1932 में की थी। कराची से बॉम्बे की पहली फ्लाइट खुद जेआरडी टाटा ने उड़ाई थी। आजादी से पहले 1946 में टाटा एयरलाइंस सार्वजनिक कंपनी बन गई और इसका नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया। विमान उड़ाना जेआरडी टाटा का जुनून था। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, जहाज उड़ाने के लिए पात्रता रखने वाले वह पहले भारतीय थे। वेबसाइट में बताया गया है, हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस उन्हें 1929 में मिला। भारत में व्यावसायिक विमानन लाने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 1948 में उन्होंने एयर इंडिया इंटरनैशनल की स्थापना की। 1978 तक वह एयर इंडिया की जिम्मेदारी संभाले रहे।' 1953 में जब सरकार ने 'बैकडोर से' (जैसा जेआरडी टाटा कहते हैं) एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया तब वह दुनिया की श्रेष्ठ एयरलाइंस में थी। टाटा को जब पता चला कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया है वह भी उन्हें बिना बताए तो उन्हें बड़ा झटका लगा। हालांकि टाटा ने राष्ट्रीयकरण के बाद एयरलाइंस के चेयरमैन का पद संभाल लिया। उनके नेतृत्व में कंपनी 1977 तक अच्छे से संचालित होती रही। 1977 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने टाटा को उनके पद से हटा दिया आज एयर इंडिया खराब संचालन और नाकामयाब कारोबार करने का जीता-जागता सबूत बन गई है। कंपनी पर भारी कर्ज है और यही कारण है कि सरकार इसका निजीकरण करना चाहती है। नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में सत्ता संभालने के बाद से करीब 16 हजार करोड़ रुपए एयर इंडिया में लगा चुकी है।

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