बच्चों के प्रति सजगता जरूरी

Update: 2017-01-06 00:00 GMT

कहा जाता है जिस देश का बचपन सुरक्षित नहीं है उस देश का भविष्य भी परेशानी भरा हो सकता है। इस दृष्टि से हम अपने देश की बात करें तो कई बार हमारे नौनिहालों को लेकर बेहद कटु अनुभव सामने आते हैं जो मन को भीतर तक विचलित करते हैं, इतना ही नहीं बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई संशय भी खड़े कर देते हैं। आजकल मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बच्चों की चोरी करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि इस तरह के घटनाक्रम में बाकायदा गिरोह बनाकर बच्चों को चोरी करने की घटनाएं अंजाम दी जा रही हैं और इनका जाल एक साथ कई प्रदेशों में फैला है। ताजा घटनाक्रम मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 29 दिसंबर को सामने आया था जब एक बच्ची के अपहरण मामले में एक महिला को गिरफ्तार किया गया था। बाद में बच्चा चोर गिरोह के तार उत्तरप्रदेश के झांसी और राजस्थान के धौलपुर तक फैले होने के साक्ष्य सामने आ चुके हैं। इस गिरोह के आठ सदस्यों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।

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अभी कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 3 बच्चा चोर महिलाओं का गिरोह पकड़ा था। बात यहीं समाप्त नहीं होती मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से भी दो बच्चा चोर महिलाओं को घर दबोचा था। इन सारे गिरोहों से बड़ी संख्या में बच्चे भी बरामद किए गए हैं। यह बात सामने आई है कि बच्चा अपहरण करने वाले गिरोह बच्चियों से अनैतिक कृत्य कराने जैसे कार्यों को अंजाम देने में जुटे पाए गए हैं, बच्चियों को देह व्यापार में इस्तेमाल करने के लिए उन्हें दलालों के हाथों बेचे जाने की बात भी सामने आई है। कुछ समय पहले यह बात भी सामने आ चुकी है कि मुम्बई जैसे शहरों में बच्चों का अपहरण कर उनसे भीख मंगवाने का गोरखधंधा भी फल फूल रहा है। अरब के देशों तक भारत से बच्चे बच्चियों को भेजे जाने की भी बात सामने आ चुकी है। देश के कई शहरों में संचालित अस्पतालों से भी बच्चा चोरी किए जाने की वारदातें लगातार घटित होती रहती हैं।

विशेषकर अस्पतालों से लडक़ों को चुराकर ऐसे दंपतियों  को बेच दिया जाता है जिनके औलाद नहीं होती या फिर जिन्हें लडक़ों की चाहत होती है। बच्चों का अपहरण या चोरी करना और फिर उनके गलत इस्तेमाल किए जाने के बढ़ते घटनाक्रम बेहद चिंता का विषय हैं। हमारे देश के नीति निर्धारकों को इस दिशा में गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है। सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि इस तरह के गंभीर कृत्य करने वालों का पुलिस के प्रति भय बिल्कुल समाप्त होता जा रहा है, यही वजह है कि वे बेखोफ होकर एक साथ कई राज्यों में गिरोह बनाकर इस तरह की वारदातों को अंजाम देते हैं। यूं तो हमारे देश में जहां पुलिस को व्यापक अधिकार प्राप्त हंै वहीं बाल संरक्षण से जुड़े कई कानून भी लागू हैं, लेकिन  समस्या तब आती है जब कानून के प्रति सजगता समाप्त हो जाती है। इस बात की भी बेहद आवश्यकता है कि बच्चों के प्रति मां-पिता व अन्य घरवालों की निष्क्रियता व सजगता की कमी भी इस तरह के कृत्य करने वालों के हौंसले बढ़ाती है। कानून तो अपना  काम करता ही है समाज को भी देश के भविष्य इन बच्चों की चिंता करना होगी तभी इस प्रकार की घटनाएं रुकेंगी।

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