दिल्ली में सत्ता सुख भोगने वाली आम आदमी पार्टी इतनी जल्दी दुर्गति के मार्ग पर कदम बढ़ा देगी, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। वास्तव में यह कहा जाता है कि जो जितनी जल्दी ऊंचाइयों पर जाता है, वह किसी न किसी रुप से पतनकारी ही होता है। आम आदमी पार्टी ने जिस प्रकार से भोली भाली जनता को सब्जबाग दिखाकर छप्पर फाड़ सफलता प्राप्त की, उसका किसी को भी विश्वास नहीं था। इस सफलता को देखकर आम आदमी पार्टी के नेताओं को लगा कि जनता ने उनको सब कुछ करने की छूट प्रदान कर दी है। यही सब कुछ की छूट ही आज आम आदमी पार्टी के लिए दंश का कारण बनती जा रही है।
आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय जो लोग पार्टी में शामिल किए उनको न तो किसी प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया और न ही किसी प्रकार से पार्टी के सिद्धांतों से अवगत कराया गया, जिसके कारण आज आम आदमी पार्टी के नेता वह सभी काम करते हुए सामने आ रहे हैं, जो समाज की नजर में अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आते हैं। अभी हाल ही में आम आदमी पार्टी के मंत्री संदीप कुमार दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए हैं, हालांकि यह अभी जांच के दायरे में हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि जो वीडियो सामने आया है, वह कहानी को सार्वजनिक करने के लिए काफी है। पत्रकार से नेता बने आशुतोष ने संदीप कुमार को बचाने के लिए सारी मर्यादाएं पार कर दीं। आशुतोष की बात को सीधे शब्दों में कहा जाए तो यही कहना होगा कि चरित्र के मामले में बड़े-बड़े नेता भी गिरे हुए थे। आशुतोष ने जिन नेताओं से संदीप कुमार की तुलना की है, उनको आदर्श मानने वालों की देश में एक लम्बी शृंखला है। इन महापुरुषों को अपमानित करके आशुतोष ने स्वयं के कद को ही कम किया है। आरोप प्रत्यारोप की राजनीति देश को किस मार्ग पर ले जाएगी, और क्या वह मार्ग देश के विकास और संस्कृति को बचाने में सहायक हो सकता है।
यकीनन इसका उत्तर हर देशवासी नहीं में ही देगा। मैं कहना चाहूंगा कि आशुतोष जी आम आदमी पार्टी ने देश को सकारात्मक तरीके से राजनीति करने का भरोसा दिलाया है, फिर आप क्यों नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं? आज आप पत्रकार नहीं, केवल एक राजनेता हैं। और आप आज भी पत्रकार की तरह ही बात कर रहे हैं ऐसी घिनौनी राजनीति देश में बंद होना चाहिए। जहां तक आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की बात है तो यह सभी जानते हैं कि वह अपनी पार्टी में केवल उन्हीं लोगों को प्रमुखता देते हुए दिखाई देते हैं, जो उनकी हां को ही सब कुछ माने। सही मायने में कहा जाए तो यही कहना उचित होगा कि आज आम आदमी पार्टी केवल अरविन्द केजरीवाल की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अलावा कुछ नहीं है। उनकी पार्टी के नेता भी इस सत्य को स्वीकारने लगे हैं। वर्तमान में आम आदमी पार्टी के मंत्री स्तर तक के नेताओं को यह नहीं मालूम कि हमारी पार्टी के सिद्धांत क्या हैं? ऐसे में पार्टी से किस प्रकार अच्छाई की उम्मीद की जा सकती है।