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उप्र: रोडवेज में घाटे से वेतन के लाले, 21 को करेंगे चक्काजाम

Update: 2016-09-10 00:00 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम(रोडवेज) में लगातार किये जा रहे निजीकरण से निगम की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी है। निगम में पिछले तीन महीनों से रोडवेज की बजाय अनुबंधित बसों को चलाए जाने से फायदा घाटे में बदल गया है। घाटे के चलते करीब 50 हजार कर्मचारियों को अब समय पर वेतन न मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद निजीकरण के खिलाफ 21 सितंबर को चक्का जाम करेगा।

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री गिरीश मिश्र ने शनिवार को कहा कि परिवहन निगम के निजीकरण के खिलाफ 21 सितंबर को एक दिन के लिए चक्का जाम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुबंधित बसों के साथ ही राष्ट्रीयकृत राजमार्गों पर निजी बस ऑपरेटरों को बस चलाने के परमिट धड़ल्ले से दिए जा रहे हैं, जिसके कारण निगम का फायदा घाटे में बदल गया है और अब करीब 50 हजार कर्मचारियों के समय पर वेतन न मिल पाने के आसार नजर आने लगे हैं।
श्री मिश्र ने कहा कि परिवहन निगम में तीन महीने पहले तक अनुबंधित बसों को चलाने के बजाए रोडवेज की बसों को चलाने पर जोर दिया जाता रहा है।

उस समय तो निगम प्रबंधन ने अनुबंधित बसों के बेड़े को कम कर रोडवेज की दो हजार बसों का चलाने का फैसला किया था। रोडवेज की बसें चलाने की नीतियों के तहत परिवहन निगम 25 करोड़ के फायदे पर पहुंच गया था, लेकिन बीते तीन महीनों में रोडवेज बसों को चलाने की जगह अनुबंधित बसों को चलाने की प्राथमिकता तय की गई, जिससे करीब एक हजार निजी बसें चल गईं।इसके विपरीत निगम की अपनी एक भी बस नहीं चल सकी,जिससे मौजूदा समय में 12 करोड़ का घाटा दिखाई देने लगा है।

महामंत्री ने कहा कि यही हाल निजी बस ऑपरेटरों को परमिट देने में भी रहा है। संभागीय परिवहन अधिकरण की बैठक में आगरा से नोएडा यमुना एक्सप्रेस वे पर बस चलाने के लिए 50 परमिट निजी बस ऑपरेटरों को दे दिए गए जबकि परिवहन निगम के मांगने के बावजूद उसे एक भी परमिट नहीं मिला। इसी तरह चार महत्वपूर्ण राष्ट्रीयकृत राजमार्गों पर 152 परमिट निजी बस ऑपरेटरों को दे दिए गए हैं।


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