अब पता चला पाकिस्तान को
पाकिस्तान और उसमें रह रहे आतंकी आकाओं ने कश्मीर का बार-बार नाम लिया, भारत ने हमेशा सहन किया, लेकिन भारत ने एक बार बलूचिस्तान का नाम क्या लिया, पूरे पाकिस्तान में कोहराम जैसी हालत हो गई है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलूचिस्तान की आजादी के बारे में बोला तो उसको दर्द हुआ, लेकिन क्या पाकिस्तान के आकाओं ने यह भी सोचा है कि जब वह कश्मीर के बारे में बोलते हैं, तब भारत पर क्या बीतती होगी। वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हालात ठीक वैसे ही कहे जा सकते हैं, जैसे पाकिस्तान ने कश्मीर में पैदा किए हैं।
हालांकि इसमें भारत का कोई हाथ नहीं है, स्वयं बलूचिस्तान के लोग ही पाकिस्तान के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। इससे यह साफ कहा जा रहा है कि पाकिस्तान, जब अपना ही देश नहीं संभाल पा रहा है, तब वह दूसरे के लिए उम्मीद कैसे हो सकता है। भारत के कश्मीर में पिछले लगभग पचास दिनों से पाकिस्तान के नापाक इशारे पर अशांति का वातावरण बना हुआ है। भारत की कठोर चेतावनी के बाद भी पाकिस्तान कश्मीर में उपद्रव को बढ़ावा देने का क्रम जारी रखे हुए है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कड़े शब्दों में पाकिस्तान से कहा है कि वह भारत के सब्र का इम्तिहान नहीं ले, वरना गंभीर अंजाम भुगतने को तैयार रहे। पाकिस्तान को भारत के दो टूक संदेश का मतलब साफ समझना चाहिए। उसे यह भी समझना चाहिए कि उसने जितनी बार कश्मीर मसले का अंतराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश की है, उसे मुंह की ही खानी पड़ी है। चाहे संयुक्त राष्ट्र हो या अन्य मंच, हर जगह कश्मीर पर पाक की कोशिश विफल हुई है। उल्टे पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पनाह देने वाले देश के रूप में कुख्यात हो चुका है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इस सत्य को पूरी दुनिया जान चुकी है और पाकिस्तान को भी यह स्वीकार करना चाहिए। हालांकि एक सत्य यह भी है कि पाकिस्तान के आका स्वयं इस बात को स्वीकार करते हैं कि कश्मीर को भारत से किसी भी हालत में पाकिस्तान नहीं ले सकता। लेकिन पाकिस्तान इस सत्य से परिचित होने के बाद भी कश्मीर में तनावपूर्ण वातावरण बनाने को शह प्रदान कर रहा है। इतना ही नहीं पाक सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत के खिलाफ आतंकवाद का प्रयोग कर रही हैं। कश्मीर में उपद्रव भड़काने के पीछे भी पाक सरकार की प्रायोजित नीति है। इस बार भी हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से जिस तरह पाकिस्तान सरकार कश्मीर में उपद्रव को उकसा रही है और वहां के भटके युवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने में कर रही है, उससे साफ है कि उसने अपनी पिछली हारों से सबक नहीं लिया है।
भारत की ओर से शांति की पुरजोर पहल के बाद भी पाकिस्तान केवल आतंकवाद का समर्थन करता हुआ दिखाई देता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी को शहीद बताकर यह साफ कर दिया है कि उसकी नजर में कश्मीर में आतंकी घटनाएं पूरी तरह से सही हैं। पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में जिस प्रकार से पाकिस्तान के विरोध में वातावरण बन रहा है, उसमें वहां के नागरिकों द्वारा पाकिस्तान से पीछा छुड़ाने के लिए कवायद की जा रही है। आतंक को पूरी तरह बढ़ावा देने वाला देश प्रमाणित हो चुका पाकिस्तान भले ही अपने बचाव में कुछ भी बयान दे, लेकिन यह बात पाकिस्तान को पूरी तरह से आतंकी देश घोषित करने के लिए काफी है कि पाकिस्तान की भूमि से लगभग तीन दर्जन आतंकी संगठन संचालित हो रहे हैं। पाकिस्तान ने इन आतंकी समूहों के माध्यम से दूसरे देशों को दहलाने का सपना देखा है, लेकिन आज यह आतंकी समूह स्वयं पाकिस्तान के लिए भी भस्मासुर जैसी मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। सिया आतंकी समूह सुन्नियों को मार रहे हैं तो सुन्नी आतंकी समूह सिया समुदाय को निशाना बना रहे हैं। इसके बाद भी पाकिस्तान सबक लेने को तैयार नहीं है।