अस्पताल में लगे पोस्टर और सदबुद्धि यज्ञ से घबराया अस्पताल प्रबंधन
दो वर्ष से लम्बित मांगे कुछ घंटों में ही मानीं
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप
ग्वालियर,। मंगलवार को सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के भूमिपूजन से पहले गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय में अध्यनरत जूनियर चिकित्सा छात्रों ने छात्रावास में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर विरोध जताते हुए न केवल कार्यक्रम के विरोध में पोस्टर चिपका दिए बल्कि प्रबधंन की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ भी कर डाला। कार्यक्रम से ठीक पहले छात्रों के इस विरोध से घबराए प्रबंधन ने जहां उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दे दिया वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा को मामले में हस्तक्षेप कर प्रबंधन द्वारा दिए गए इस भरोसे पर मुहर लगाना पड़ी तब कहीं मामला सुलझ सका। उल्लेखनीय है कि अपनी समस्याओं को लेकर जब छात्रों ने विरोध का रास्ता अपनाते हुए सद्बुद्धि यज्ञ किया तो, जयारोग्य प्रबंधन के अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक खलबली मच गई। उन्हें लगा कि कहीं छात्र 28 जून को सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के भूमिपूजन में आने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के सामने अस्पताल की कमियों को उजाकर न कर दें। चिकित्सा छात्रों जो पोस्टर लगाए थे उनमें केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्य मंत्री वापस जाओ के नारे लिखे हुए थे। इससे डरे जयारोग्य प्रबंधन ने तत्काल छात्रों की महाविद्यालय स्तर पर जो मांगे पूर्ण हो सकती थीं, वह मान लीं और आदेश भी जारी कर दिए। सोमवार की शाम को ही स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जूनियर चिकित्सकों से फोन पर ही बात कर उन्हें आश्वस्त किया कि आपकी जो भी मांगे हैं उन पर 29 जून को आपके साथ चर्चा कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
प्रबंधन ने यह मांगे मानीं
- छात्रावासों में सेन्ट्रल प्यूरीफायर लगेंगे।
- छात्रावासों में छह वर्ष से बड़े बाबू के पद पर पदस्थ सुरेश बाबू को हटाया गया।
- चिकित्सा छात्रों के परिजनों के लिए स्पेशल एसी व नॉन एसी वार्ड रिर्जव किया जाएगा।
- छात्रों को लायब्रेरी मेें अपनी पुस्तक ले जाने से रोका नहीं जाएगा।
- छात्रों के लिए एक एसी रीडिंग रूम बनाया जाएगा, जिसमें फर्नीचर भी लगवाया जाएगा।
ये लिखा था पोस्टर में
-16-16 घण्टे पढ़ाई करने के बाद मानवता के नाम पर आए मरीज लगातार रोज देखने के बाद बिना थके ड्यूटी करने के बाद भी डॉक्टर बदनाम क्यों
- मेरे पास न तो दवाई का कोई फण्ड है और ना ही एसी ठीक कराने के लिए पैसा, फिर भी मैं बदनाम क्यों
- बिना नहाए, बिना खाना खाए 72 घण्टे की लगातार ड्यूटी, फिर भी मैं बदनाम क्यों
- तीन साल में अपने घर मुश्किल से तीन-चार दिन ही रह पाते हैं।
- जरूरत पडऩे पर गरीब मरीज की मदद की।
- दवाएं, एसी सरकार खरीदे, पानी की व्यवस्था सरकार की, मेरे लिए ओपीडी में टॉयलेट व पानी भी नहीं हैं, फिर मैं बदनाम क्यों।
हालांकि महाविद्यालय में चिपकाए गए पोस्टरों की जिम्मेदारी किसी भी जूनियर चिकित्सक ने नहीं ली , लेकिन सवाल यह है कि जब यह पोस्टर जूनियर चिकित्सकों ने नहीं चिपकाए तो आखिर किसने चिपकाए।