पांच साल में चम्बल में बढ़ीं 22 डाल्फिन

Update: 2016-05-21 00:00 GMT

पांच साल में चम्बल में बढ़ीं 22 डाल्फिन

दिनेश शर्मा/ग्वालियर। चम्बल नदी में अवैध रूप से व्यापक स्तर पर रेत का खनन होने के बाद भी चम्बल अभयारण्य में घडिय़ाल, मगरमच्छ, कछुआ सहित अन्य जलीय जीवों के साथ डाल्फिन का कुनबा भी बढ़ रहा है। हाल ही में की गई जलीय जीवों की गणना के अनुसार चम्बल नदी में पिछले पांच सालों में 22 डाल्फिन बढ़ गई हैं और अब इनकी संख्या 56 से बढ़कर 78 हो गई है।

सदानीरा कही जाने वाली करीब 965 कि.मी. लम्बी चम्बल नदी में श्योपुर जिले से मुरैना और भिण्ड जिले की सीमा तक राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य करीब 435 कि.मी. क्षेत्र में है। यह अभयारण्य वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था। इसके बाद मुरैना जिला स्थित देवरी में डाल्फिन-घडिय़ाल ईको सेन्टर स्थापित किया गया था, जहां विशेष रूप से घडिय़ालों का संरक्षण किया जा रहा है। इस सेन्टर में चम्बल नदी के रेत से घडिय़ालों कछुओं के अण्डों को निकालकर नेचुरल हेचिंग का वातावरण देकर उनका जन्म कराया जाता है और बड़े होने पर नदी में छोड़ा जाता है, जबकि मगरमच्छ और डाल्फिन सहित अन्य जलीय जीव नदी में सीधे ही पल बढ़ रहे हैं।

अभयारण्य प्रबंधन के अनुसार हाल ही में चम्बल अभयारण्य में जल जीवों की गणना कराई गई थी, जिसके अनुसार पिछले पांच सालों में 257 घडिय़ाल, 169 मगरमच्छ और 22 डाल्फिन बढ़ी हैं। वर्तमान में यहां घडिय़ाल 1162, मगरमच्छ 464 और डाल्फिन 78 की संख्या में हैं। अभयारण्य प्रबंधन के अनुसार पहले की तुलना में चम्बल नदी का पानी अब बहुत ज्यादा स्वच्छ हो गया है। इसी के फलस्वरूप चम्बल में जलीय जीवों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि चम्बल नदी का पानी हमेशा से ही स्वच्छ और निर्मल है, क्योंकि इसमें कोई गंदा नाला नहीं मिला है, परन्तु पिछले कुछ सालों से चम्बल में मूर्ति विसर्जन एवं मृत जानवार डाले जाने से इसका जल दूषित होने लगा था, लेकिन पिछले चार सालों से मूर्ति विसर्जन और मृत पशु डालने पर रोक लगाने से चम्बल का जल फिर से स्वच्छ और निर्मल हो गया है।

क्या है डाल्फिन
डॉल्फिन को हम अक्सर मछली समझने की भूल कर देते हैं, लेकिन वास्तव में डॉल्फिन एक मछली नहीं है। यह एक स्तनधारी प्राणी है। जिस तरह व्हेल एक स्तनधारी प्राणी है वैसे ही डॉल्फिन भी इसी श्रेणी में आती है। यह एक छोटी व्हेल की ही तरह है। डॉल्फिन का रहने का ठिकाना समुद्र और बड़ी नदियां हैं।

चम्बल में ऐसे बढ़े जलीय जीव
वर्ष                  घडिय़ाल        मगरमच्छ              डॉल्फिन
2012                905             295                    56
2013                948             356                    59
2014               1088            390                    66
2015               1151            402                    71
2016               1162            464                    78

इनका कहना है

चम्बल नदी में मूर्ति विसर्जन, मृत पशुओं को बहाने और रेत के खनन पर लगाई गई रोक और स्थानीय अधिकारी व कर्मचारियों की अथक मेहनत का ही परिणाम है कि नदी में जलीय जीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

राजेश कुमार
मुख्य वन संरक्षक,
ग्वालियर

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