अपने कर्मचारियों को भी ठग रही बिजली कम्पनी

Update: 2016-04-09 00:00 GMT

सेवानिवृत्त कर्मचारी को थमाया मनमाना बिल

ग्वालियर। उपभोक्ताओं से ठगी के मामले में म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी नम्बर- वन पर है। अपना वसूली का लक्ष्य पूरा करने के लिए वह अपने कर्मचारियों को भी ठगने से नहीं चूक रही है तो आम उपभोक्ताओं की क्या बिसात है। हालत यह है कि मौके पर रीडिंग लिए बिना हर चौथे उपभोक्ता को मनमाना बिल जारी किया जा रहा है। इससे परेशान उपभोक्ता बिल में सुधार के लिए जोन कार्यालय से लेकर संभाग और वृत्त कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

मामला बिजली कम्पनी से सेवानिवृत्त कर्मचारी उमेश त्रिपाठी से जुड़ा हुआ है। बहोड़ापुर स्थित भेलसे वाली माता जनकताल के पास निवासरत श्री त्रिपाठी के यहां दो किलो वाट का सिंगल फेस विद्युत कनेक्शन था, जिसे चार वाट के थ्री फेस कनेक्शन में बदलवाने के लिए उन्होंने 9 नवम्बर 2015 को लक्ष्मीगंज विद्युत जोन कार्यालय में आवेदन दिया और निर्धारित शुल्क जमा कराया। इसके बाद 12 दिसम्बर 2015 को श्री त्रिपाठी के यहां थ्री फेस विद्युत मीटर लगाकर सिंगल फेस मीटर को जोन कार्यालय में जमा करा दिया गया। जिस समय विद्युत मीटर बदला गया, उस समय मीटर में रीडिंग 923 यूनिट दर्ज थी, लेकिन इसके बाद उनके थ्री फेस मीटर की रीडिंग लेने कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा और सिंगल फेस की पिछली रीडिंग के आधार पर घर बैठे ही मार्च माह में मानमाने तरीके से 1031 रीडिंग दर्ज कर बिल भेज दिया गया, जबकि श्री त्रिपाठी के थ्री फेस विद्युत मीटर में महज 305 रीडिंग दर्ज है। श्री त्रिपाठी का कहना है कि उनका सिंगल फेस विद्युत मीटर 12 दिसम्बर 2015 से जोन कार्यालय में जमा है। फिर उसके आधार पर अनुमानित बिल कैसे जारी किया गया। यह उनकी समझ से परे है।

खजाना भरने की जा रही मानमानी
सूत्रों के अनुसार म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंध संचालक विवेक पोरवाल ने कम्पनी को घाटे से उबारने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में अगले वित्तीय वर्ष में 1200 करोड़ अतिरिक्त राजस्व जुटाने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिए हैं, लेकिन समस्या यह है कि प्रभावशाली बकायादारों से वसूली करने में अधिकारी असमर्थ हैं। ऐसे में वे वसूली का लक्ष्य पूरा करने के लिए ईमानदार उपभोक्ताओं पर मनमाना बिल थोपकर जबरिया वसूली पर उतर आए हैं। इस मानमानी से पीडि़त हजारों उपभोक्ता बिल सुधरवाने के लिए अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं। इनमें कई उपभोक्ता ऐसे भी होते हैं, जिनमें से किसी का मीटर खराब है, किसी के मीटर की स्क्रीन खराब है, तो किसी का मीटर तेज गति से चल रहा है, लेकिन मीटर बदलने की बजाय इन्हें आंकलित खपत के बिल थमाए जा रहे हैं। महीनों से चक्कर काट रहे ऐसे उपभोक्ताओं के बिल सुधाने की बजाय अधिकारी उल्टा सरचार्ज लगाकर बिजली कम्पनी का खजाना भरने में लगे हुए हैं।

रीडिंग 100 से कम तो आंकलित खपत
बिजली कम्पनी एक ओर जहां उपभोक्ताओं को बिजली बचाने के लिए प्रेरित करती है वहीं दूसरी ओर यदि कोई उपभोक्ता बिजली की बचत करते हुए 100 यूनिट से कम बिजली खर्च करता है तो बिजली कम्पनी के अधिकारी यह मानकर कि उपभोक्ता ने चोरी से बिजली का उपयोग किया होगा, इसलिए संबंधित उपभोक्ता के बिल में 100 यूनिट के अतिरिक्त आंकलित खपत भी जोड़ दी जाती है, लेकिन आंकलित खपत लगाने से पहले अधिकारी फील्ड में जाकर हकीकत जानने का प्रयास नहीं करते हैं। अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यालय में बैठकर ही वेरीफिकेशन कर लेते हैं। इसके अलावा कई ऐसे उपभोक्ता भी हैं, जिनके परिवार के लोग लम्बे समय तक बाहर रहते हैं और घर में ताला पड़ा रहता है। इससे उनके मीटर में रीडिंग कम दर्ज होना स्वाभाविक है, लेकिन बिजली कम्पनी द्वारा ऐसे उपभोक्ताओं को भी घर में लगे विद्युत उपकरणों का अनुमान लगाकर मनमाना बिल जारी कर दिया जाता है।

कई उपभोक्ताओं के नहीं बदले मीटर
बिजली कम्पनी आर-एपीडीआरपी योजना के अंतर्गत शहर के सभी 2.34 लाख उपभोक्ताओं के पुराने विद्युत मीटर निकालकर उनकी जगह घरों के बाहर डिजिटल मीटर लगाने का दावा करती है, लेकिन सूत्रों के अनुसार आज भी शहर में करीब 10 फीसदी उपभोक्ताओं के यहां और वह भी घर के अंदर पुराने मीटर ही लगे हुए हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो राजनैतिक रसूख रखते हैं और मीटर बदलने के लिए पहुंचने वाले कर्मचारियों को हड़का कर भगा देते हैं। ऐसे लोगों के आगे बिजली कम्पनी के अधिकारी भी बेवश हैं।

इनका कहना है
गलत रीडिंग के बिल भेजने की शिकायत सात-आठ माह पुरानी है। वर्तमान में ऐसी शिकायतें आधा प्रतिशत भी नहीं हैं क्योंकि पुरानों को हटाकर अब नए मीटर रीडर रखे गए हैं, जो मौके पर पहुंचकर रीडिंग लेते हैं और उसी आधार पर बिल जारी किए जाते हैं, फिर भी हमने अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि यदि किसी उपभोक्ता को गलत बिल जारी हुआ है तो उसे तत्काल सुधारें।

विवेक पोरवाल
प्रबंध संचालक
म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी, भोपाल

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