जीवाजी विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा

Update: 2016-04-28 00:00 GMT

प्रदेश के तीन अन्य विश्वविद्यालय भी निशाने पर

सी.ए.जी रिपोर्ट ने खोली पोल

प्रतिवेदन में सामने आया है कि इन विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया।स्थति इतनी शर्मनाक रही कि इन विश्वविद्यालयों ने वार्षिक लेखों के रख-रखाव के प्रपत्र एवं वार्षिक बजट और वार्षिक लेखाओं की तैयारी की न केवल अनदेखी की बल्कि इसके लिए तैयार की जाने वाली परम्परागत समय सारणी का भी निर्धारण नहीं किया गया।
सी.ए.जी. की इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ये विश्वविद्यालय यू.जी.सी. एवं अन्य संगठनों से मिलने वाले १८.०६ करोड़ रुपए के अनुदानों का भी ठीक प्रकार से शिक्षा हित में उपयोग नहीं कर सके जिसके कारण विश्वविद्यालय को अनुवर्ती अनुदान जारी नहीं किए जा सके।

अकेले जीवाजी विश्वविद्यालय की बात की जाए तो इस विश्वविद्यालय को यू.जी.सी. एवं अन्य सरकारी संस्थाओं से वर्ष २०१५ में कुल १३.१७ करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ इसमें से यह विश्वविद्यालय ४.१३ करोड़ रुपयों का उपयोग ही नहीं कर सका। इसमें विश्वविद्यालय की एक अन्य बड़ी लेतलाली भी सामने आई जिसके अनुसार विश्वविद्यालय प्रबंधन का वित्तीय मामलों को लेकर इस कदर सुस्त होना सामने आया कि उसने जो अनुदान का उपयोग भी किया उसका किसी भी प्रकार का लेखा-जोखा अर्थात उपयोगिता प्रमाण पत्र यू.जी.सी. को नहीं भेजे गए। इसमें यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय के लेखा विभाग द्वारा रोकड़ बहियों तथा बैंक विवरणियों का मिलान तक नहीं किया जा रहा था। जिसके कारण इसमें ४.८० करोड़ का बड़ा अंतर सामने आया है। लगभग इसी प्रकार की मिलती जुलती कमियां प्रदेश के अन्य तीन विश्वविद्यालयों में भी सामने आई हैं। यहां बताना उपयुक्त होगा कि जीवाजी विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास तथा शैक्षणिक गतिविधियों के विस्तार हेतु धन की कमी का रोना रोया जाता है, लेकिन जो धन यू.जी.सी व अन्य संस्थाओं से प्रदान किया जाता है उसका समय रहते बेहतर उपयोग यह विश्वविद्यालय नहीं कर पाते। जैसा कि सी.ए.जी की रिपोर्ट में भी सामने आया। प्रदेश के चार बड़े विश्वविद्यालय उन्हें मिले अनुदान में से १८.०६ करोड़ का उपयोग ही नहीं कर सके, यह स्थिति बेहद चिंतनीय है।

७४ शासकीय व अशासकीय महाविद्यालयों से नहीं वसूला संबद्धता शुल्क

सी.ए.जी की रिपोर्ट में जहां जीवाजी विश्वविद्यालय की तमाम वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है वहीं इस रिपोर्ट में विश्वविद्यालय द्वारा तमाम निजी-महाविद्यालयों की संबद्धता के लिए निर्धारित नियमों की धज्जियां उड़ाकर काम करने की पद्धति पर भी अंगुली उठाई गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जीवाजी-विश्वविद्यालय ने तमाम महाविद्यालयों में अधोसंरचना की तमाम कमियों के बावजूद उन्हें अनुवर्ती वर्षों में बार-बार संबद्धता प्रदान कर दी है। इतना ही नहीं ७४ शासकीय व अशासकीय महाविद्यालयों के विरुद्ध १.१९ करोड़ का सम्बद्धता शुल्क भी जमा (लंबित) नहीं कराया जाना सामने आया है।

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