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धूमेश्वर मंदिर की छतरी जीर्ण-शीर्ण हालत में, विभाग नहीं दे रहा ध्यान

Update: 2016-03-06 00:00 GMT

मलवा टपकने से दिखने लगी ईंटें, गर्भगृह की हालत खराब, वर्षों से नहीं हुआ मरम्मत कार्य

मनीष मिश्रा/भितरवार। क्षेत्र के लोगों की आस्था का केन्द्र प्राचीन धूमेष्वर मंदिर के गर्भगृह की छतरी इन दिनों जीर्ण-षीर्ण हालत में दिखाई दे रही हैं। छतरी से मलवा-चूना टपकने का क्रम जारी हैं। जिससे गर्भगृह की छतरी की ईंटे नजर आने लगी हैं, वहीें कई बार अवगत कराने के बावजूद भी पुरातत्व के विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा हैं।

जानकारी के अनुसार नगर के 15 किमी दूर सिंध नदी के तट पर स्थित प्राचीन धूमेष्वर महादेव मंदिर से जुड़ी किवंदितियों के कारण लोगों में मंदिर के प्रति खासी आस्था हैं क्षेत्र एवं देष-प्रदेष के लोगों की आस्था का केन्द्र धूमेष्वर मंदिर की गर्भगृह की छतरी देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रही हैं। आये दिन मलवा टपकने से गर्भगृह की छतरी के असतित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि चूना मलवा झडऩे से छतरी की ईटें स्पष्ट रूप से नजर आने लगी हैं ऐसी स्थिती को देखते हुये मंदिर के महंत अनिरूद्ध महाराज एवं भगवान भोलेनाथ के भक्तगणों ने पुरातत्व विभाग को मरम्मत कार्य कराने के लिये अवगत कराया गया। लेकिन आजतक विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अगर समय रहते विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया अगर समय रहते विभाग ने मरम्मत कार्य नहीं कराया तो छतरी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता हैं।

गर्भगृह में विराजमान हैं, भोलेनाथ : जिस गर्भगृह की छतरी जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच रही हैं। गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग विराजमान हैं जिनके दर्शन के लिये दूर-दूर से सैकड़ों की संख्या में भक्त दर्षन करने के लिए पहुंचते हैं। गर्भगृह की छतरी से आये दिन टपक रहे मलवा ने भक्तगणों को चिंता में डाल दिया हैं। छतरी की मरम्मत न होने से लोगों में सम्बधित विभाग के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।

वर्षों से नहीं हुई मरम्मत : मंदिर से जुड़े लोग बताते है कि वर्षों से कई बार अवगत कराने के बावजूद भी पुरातत्व विभाग ने मंदिर में मरम्मत कार्य नहीं कराया। जिससे आज मंदिर ऐसी स्थिती निर्मित हुई हैं अगर समय-समय पर विभाग द्वारा छतरी का मरम्मत कार्य कराया गया होता तो आज चूना नहीं टपकता। बताते हैं कि प्राचीन धूमेष्वर मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन विभाग ने आज तक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं किया।
दूर-दूर से आते हैं भक्तगण : प्राचीन धूमेश्वर मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिये प्रदेश एवं देश के अन्य क्षेत्रों के लोग आते हैं, और पूजा अर्चना कर सुख-शांति की कामना करते हैं।

महाशिवरात्रि पर लगता हैं मेला : हर वर्ष महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर धूमेश्वर धाम में मेला लगता हैं। हजारो की संख्या में भक्तगण भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। वहीं कावडिय़ों द्वारा कांवर लाकर गंगा जल चढ़ाते हैं। मेला को लेकर क्षेत्र के लोगों में उत्साह का माहौल रहता हैं।
कहीं ढह न जाए नौचौकिया : मंदिर के पास सिंध नदी कं बीच बना प्राचीन नौचौकिया अपना असतित्व खोने की कगार पर आ गया हैं। मरम्मत कार्य न होने से यह कमजोर हो गया हैं।लोगों द्वारा आंषका जताई जा रही हैं कि जर्जर हालत में पहुंच चुका नौचौकिया तेज नदी आने पर कभी भी ढह सकता हैं। आकर्षक का केन्द्र नौचौकिया को देखने के लिये काफी संख्या में बाहर से पर्यटक आते हैं। नौचौकिया की भी पुरातत्व विभाग द्वारा देखरेख नहीं की और न ही मरम्मत कार्य कराया।

नागवंश के राजाओं ने कराया था निर्माण : जिस क्षेत्र में मंदिर स्थापित है, वह कभी नागवंष की राजधानी हुआ करती थी। जिसे पदभावती के नाम से जाना जाता था। क्षेत्र के लोग बताते है कि मंदिर विषाल षिवलिंग नागवंष के राजाओं ने स्थापित कराई थी। बाद में जो षिवलिंग गर्भगृह में विराजित हैं, उनकी स्थापना ओरछा के महाराज वीरसिंह ने कराई थी।

राजनेताओं का भी ध्यान नहीं : धूमेश्वर धाम मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ के दर्शन एवं शिवाअभिषेक करने के लिये हर वर्ष प्रदेश के मंत्री आते हैं। लेकिन उनके द्वारा भी मंदिर की हालत पर ध्यान नहीं दिया गया। मंदिर की छतरी अपना असतित्व खो रही हैं। अगर राजनेता मंदिर से सच्ची आस्था रखते हैं तो गर्भगृह की ऐसी हालत नहीं होती।
कल शिवरात्रि पर भरेगा मेला : कल सोमवार को महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्राचीन धूमेष्वर महादेव मंदिर पर विषाल मेले का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसकी तैयारियों को लेकर बैठक भी सम्मपन हो गई हैं। षिवरात्रि पर हजारों की संख्या में भक्तगण धूमेश्वर पहुंचेगे। वहीं कावडिय़ों द्वारा कांवरे चढ़ाई जायेगी।
इनका कहना
गर्भगृह की छतरी चूना-मलवा टपकने से जर्जर हालत में पहुंच रही हैं। ईटें दिखाई देने लगी हैं, ऐसी हालत को देखते हुये कई बार विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन फिर भी मरम्मत कार्य नहीं हुआ।

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