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ब्लॉक अकराबाद को आदर्श बनाना चाहते हैं ठा. मुकेश कुमार

Update: 2016-02-29 00:00 GMT

अलीगढ़। कस्बा के समीपवर्ती गांव रायपुर मनीपुर के रहने वाले ठा. सूरजपाल सिंह एक सामान्यत: गांव में अपनी पत्नी मीरा देवी के साथ रहते हुए भी यह एक लालसा था कि यदि बच्चों को पढा-खिलाकर शिक्षित कर स्वाभिलम्भी बनाना चाहते थे। लेकिन ईश्वर को यह मंजूर तो था, परन्तु वह दुनिया छोडकर चले गये। उनके बेटे ठा. मुकेश कुमार सिंह ने पहले पिता की धरोहर रही खेतीबाडी की। इसी के साथ उन्होंने उद्योग जगत में कदम रखते हुए आरा मशीन लगायी। कुछ समय के पश्चात उन्होंने ईंट उद्योग में भी दस्तख देते हुए दो भट्टों के मालिक बने। कृषक परिवार से तालुक रखने वाले ठा. मुकेश कुमार सिंह ने इस बार अपनी मेहनत और जनता के सहयोग तथा ईमानदारी से ब्लाक अकराबाद में ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर विराजमान हुए।


नवनिर्वाचित ब्लाक प्रमुख ठा. मुकेश कुमार सिंह ने स्वदेश से खास बातचीत के दौरान बताया कि क्षेत्र में गरीबों को दिये जाने वाला राशन उन तक नही पहुंच रहा था। विद्यालय में एमडीएम के नाम पर भी विद्यार्थियों के साथ में धोखा हो रहा था।
इन चीजों को लेकर लोगों ने काफी समय से यह आस लगाये हुये थे कि राजनीति में आकर इन चीजों से निजात दिलाने का कार्य कर सकूं। ब्लाक स्तर से मिलने वाली सरकारी सुविधाओं जन-जन तक पहुंचे। मेरी लालसा थी और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हुये यह राजनीति में पहला कदम बताते है। श्री सिंह ने बताया कि आगंनवाड़ी केन्द्रों को मिलने वाला खाद्यान भी विजयगढ़ स्थित गोदाम से मिलता है। जबकि आंगनवाड़ी संचालिकाओं को यह काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। उद्योग से राजनीति में आने के प्रश्न पर बताते है कि क्षेत्र के गणमान्य और बुद्धजीवी लोगों के आदेशानुसार ही ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी बनने का निश्चय किया।

लेकिन मैं आभारी हूं उन मतदाता और शुभ चितंकों का जिन्होंने ब्लाक की जनता की सेवा करने का मौका दिया। मैं एक आदर्श ब्लाक अकराबाद को देखना चाहता हूं। पूर्व व स्वर्गीय ब्लाक प्रमुख ठा. विनोद कुमार सिंह के समय किये हुये विकास कार्यों को आज भी लोग याद करते है। मैं भी अधूरे कार्यों को पूरे कार्य करने के लिए उत्सुक हूं। मेरी हार्दिक तमन्ना है कि अकराबाद ब्लाक के आगे एक विकसित और विकासशील ब्लाक लिखा जायें तब मेरा कार्य पूरा होगा।  कृषि उद्योग एवं राजनीति तक यदि मेरी कहीं सफलता है तो मां बाप का आर्शीवाद तथा पत्नी कान्ती देवी का कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करना तथा शुभ चिंतकों की वजह से ही यहां तक का सफर तय किया है।

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