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कन्हैया की जमानत पर कल सुनवाई बहाल कर सकता है हाईकोर्ट

Update: 2016-02-28 00:00 GMT

नई दिल्ली | विश्वविद्यालय परिसर में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगाने के चलते देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय कल सुनवाई बहाल कर सकता है। जस्टिस प्रभा रानी सोमवार को इस मामले की सुनवाई बहाल करेंगी। उन्होंने बीती 24 फरवरी को इस मामले की सुनवाई 29 फरवरी तक के लिए टाल दी थी क्योंकि दिल्ली पुलिस ने पीठ से कहा था कि वह फिर से पूछताछ के लिए कन्हैया की हिरासत की मांग करेगी।


यह सुनवाई इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि पुलिस पीठ को मामले की चल रही जांच के बारे में सूचित कर सकती है। जांच के दौरान कन्हैया का आमना-सामना जेएनयू के दो अन्य गिरफ्तार छात्रों- उमर खालिद और अनिर्बण भट्टाचार्य से करवाने के लिए उसे एक दिन की हिरासत में लिया गया। उमर और अनिर्बाण ने 23 फरवरी की रात पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। दोनों ही आरोपी 29 फरवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में हैं।


कन्हैया का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पहले यह दावा किया था कि दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, उनके मुवक्किल की ओर से कोई भी भारत-विरोधी नारा लगाए जाने का साक्ष्य नहीं है।12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया कन्हैया 17 फरवरी तक पुलिस हिरासत में था और बाद में रिमांड कार्रवाई के दौरान अदालत परिसर में हुई हिंसा के बीच उसे दो मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उसे 25 फरवरी को एक दिन की पुलिस हिरासत में ले लिया गया था और 26 फरवरी को उसे वापस न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

उच्च न्यायालय में पुलिस की ओर से दायर कराई गई स्थिति रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि 9 फरवरी को जेएनयू परिसर में आयोजित जिस समारोह में राष्ट्र-विरोधी नारे लगे थे, कन्हैया ने उस समारोह में न सिर्फ शिरकत ही की थी, बल्कि उसने वास्तव में कार्यक्रम का ‘आयोजन’ भी किया था। रिपोर्ट में दावा किया गया कि कन्हैया और अन्य आरोपियों के अलावा, कुछ ‘विदेशी तत्व’ भी उस आयोजन के दौरान मौजूद थे और उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने चेहरे ढंके हुए थे।
पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था, ‘जांच एजेंसी याचिकाकर्ता (कन्हैया) और उसके सह आरोपियों और उन कथित विदेशी तत्वों के बीच के संपर्कों की पड़ताल कर रही है, जिन्होंने चेहरे ढककर अपनी पहचान छिपाई हुई थी।’

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