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भगवान भरोसे नारी निकेतन की सुरक्षा व्यवस्था

Update: 2016-12-15 00:00 GMT


ग्वालियर। 
शहर में संचालित होने वाले नारी निकेतनों की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से भगवान भरोसे चल रही है। पूर्व में नारी निकेतन में हुई विभिन्न घटनाओं के बाद भी सम्बन्धित विभाग द्वारा यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। शहर के एक नारी निकेतन में कुछ माह पहले जहां एक युवती की हत्या हो गई थी , तो वहीं कुछ अन्य में लड़कियों के भागने की घटनाएं भी हो चुकी हैं।इसके बावजूद भी सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है।


चार दीवारी को ही मान लिया सुरक्षा का आधार:- कांच मिल स्थित शांति निकेतन आश्रम के चारों ओर चार दीवारी (बाउण्ड्री वॉल) बना  कर ही विभाग के अधिकारी इसे पुख्ता सुरक्षा मान रहे हैं नारी निकेतन में विभिन्न हादसों की शिकार लड़कियां रह रही हैं। वहीं आश्रम की सुरक्षा के लिए मात्र लोहे का गेट लगवाकर ही प्रबंधन ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है।

सिर्फ एक गार्ड के भरोसे सुरक्षा:- शहर के कांचमिल स्थित शांति निकेतन में विगत मई माह में आश्रम में रह रही एक  नाबालिग लडक़ी की उसके पिता और चाचा ने अपने झूठे सम्मान की खातिर नृशंस हत्या कर दी थी। जिसके बाद महिला सशक्तिकरण विभाग के अधिकारियों ने आश्रम की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की बात कही थी। लेकिन यहां की सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ एक गार्ड के भरोसे है। इसके साथ ही जयारोग्य चिकित्सालय में बने ऊषा किरण केन्द्र में भी हर 6 घंटे में एक गार्ड की ड्यूटी रहती है। लेकिन इन घटनाओं के बावजूद नारी निकेतन की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

15 दिन पूर्व भागने का प्रयास कर चुकी है लडक़ी
कांचमिल स्थित नारी निकेतन से विगत 15 दिन पहले पश्चिम बंगाल की एक नाबालिग लडक़ी भागने का प्रयास भी कर चुकी है। बताया जाता है कि लडक़ी आश्रम के मुख्य द्वार तक पहुंच चुकी थी, लेकिन आश्रम में रह रहे गिर्राज तिवारी ने उसे देख लिया और समय रहते उसे रोक लिया गया। लेकिन उसके बाद भी निकेतन की सुरक्षा व्यवस्था पर न तो सम्बन्धित विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही प्रशासन।

अप्रैल माह से नहीं मिली राशि
आश्रम में रहने वाली लड़कियों के खाने व अन्य जरूरत की चीजों के लिए महिला सशक्तिकरण की ओर से प्रति लडक़ी के हिसाब से दो हजार रूपए दिए जाते हैं, जिसमें 1400 रूपए खाने के लिए और 600 रूपए कपड़े, तेल, साबुन सहित अन्य जरूरत की चीजों के लिए मिलते हैं। लेकिन आश्रम के गिर्राज तिवारी ने बताया कि अप्रैल माह से अभी तक उन्हें कोई राशि पा्रप्त नहीं हुई है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि वर्ष में एक बार ही अनुदान राशि दी जाती है।

नहीं पता निजी नारी निकेतनों की संख्या
शहर में संचालित होने वाले नारी निकेतनों में होने वाली अव्यवस्थाओं को लेकर जब संबंधित अधिकारी से इस सम्बन्ध में जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होनें बताया कि शहर में  ऊषा किरण केन्द्र शासकीय है। जबकि निजी नारी निकेतनों की संख्या कितनी है वह नहीं बता सके। लेकिन जहां तक यहां सुरक्षा व्यवस्था का सवाल है निजी और सरकारी सभी की हालत बदतर है।

कर्ज लेकर चला रहे काम
आश्रम में रहने वाले गिर्राज तिवारी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण की ओर से उन्हें राशि न मिलने के कारण आश्रम में रहने वाली लड़कियों के खान-पान सहित अन्य चीजों के लिए उन्हें विभिन्न संस्थाओं पर निर्भर होना पड़ रहा है, वहीं जरूरत पडऩे पर वह कर्ज भी लेते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं आने देते।
असामाजिक तत्व घूमते हैं आस-पास
असमाजिक तत्व नारी निकेतन के आसपास घूमते रहते हैं। सुरक्षा के अभाव में नारी निकेतन में रहने वाली लड़कियां आज भी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही हैं। कई बार नारी निकेतन की सुरक्षा बढ़ाने को लेकर कई समाजसेवी संस्थाओं द्वारा हस्तक्षेप भी किया गया है। लेकिन अभी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सिर्फ यह है इंतजाम
प्रवेश द्वार  हर समय बंद रखा जाता है। ताकि कोई अंजान व्यक्ति अंदर न जा प्रवेश ना कर सके। यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से वहां मौजूद गार्ड विभाग का अनुमति पत्र मांगता है उसके बाद ही उसे नारी निकेतन में प्रवेश दिया जाता है।

ये घटनाएं हो चुकी हैं

*12 मई को कांचमिल स्थित शांति निकेतन आश्रम में एक नाबालिंग की हत्या कर दी गई थी।
*12 जुलाई को जयारोग्य अस्पताल परिसर में बने ऊषा किरण केन्द्र नारी निकेतन से रात के समय 18 युवतियां भाग गई थी। इनमें से से 11 युवतियां सीधे थाने पहुंची थी।
*इस मामले में नारी निकेतन के एक शिक्षक को तत्काल निलंबित भी किया गया था।
*23 जुलाई को भी ऊषा किरण केन्द्र से लड़कियां भागी थीं।

इन्होंने कहा
शहर के नारी निकेतनों में सुरक्षा की दृष्टि से गार्ड तैनात किए  गए हैं। कांचमिल में हुई घटना के बाद पुलिस द्वारा यहां चार गार्ड तैनात किए गए हैं। अगर कहीं गार्ड की कमी है तो मैं उसे खुद दिखवाऊंगा

शालीन शर्मा, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी

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