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हिलेरी या ट्रम्प, कौन बनेगा अमेरिकी राष्ट्रपति

Update: 2016-11-08 00:00 GMT

नई दिल्ली। किसी भी गंभीर अंतरराष्ट्रीय मसले पर हमेशा दुनिया दो खेमों में बंटी दिखती है। एक वह खेमा जो अमेरिका के साथ है, दूसरा वह जो उसके साथ नहीं है। अपवादों को छोड़ दें तो नतीजे वही सामने आते हैं जो अमेरिकी खेमा चाहता है। यही अमेरिकी हनक है। जिस देश के रुख-रसूख और रुतबे से पूरी दुनिया की सामरिक, रणनीतिक और कूटनीतिक नीतियां और नियम तय होते हैं, वहां पर बदलाव की सबसे बड़ी प्रक्रिया यानी राष्ट्रपति का चुनाव मंगलवार को होने जा रहा है। राष्ट्रपति रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रंप बनें या फिर डेमोक्रेट की हिलेरी क्लिंटन, चीन के उभार को देखते हुए आधुनिक वैश्विक परिदृश्य में भारत के दोनों हाथों में लड्डू हैं। दोनों देशों के संबंध में पहले से ही मिठास की ऐतिहासिक मिसरी घुल रही है। नया राष्ट्रपति इस मिठास में और चीनी घोलने का ही काम करेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की मजबूत दीवार में दरार पैदा करना चाहते हैं जबकि हिलेरी क्लिंटन विपक्षी ट्रम्प के गढ़ में बढ़त की उम्मीद बनाए हुई हैं। दोनों ही उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव 2016 के आखिरी समय में फ्लोरिडा, पेन्सिलवैनिया और नॉर्थ कैरोलिना में जोर आजमाइश कर रहे हैं। फिलहाल, दोनों उम्मीदवारों का ध्यान उत्तरी राज्यों पर लगा हुआ है जहां मिशीगन और पेनसिल्वेनिया में उन्हें रैलियां करना बाकी है।

निर्णायक भूमिका में होंगे लैटिन मतदाता और युवा

अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में लैटिन वोटरों की बड़ी भूमिका है। इनके अलावा नए मतदाता बने युवा भी खेल में अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। माना जा रहा है कि हिलेरी क्लिंटन महिला वोटरों, कॉलेज जानेवाले शिक्षित युवाओं और लैटिन मतदाताओं पर पकड़ रखती है। शुक्रवार को नेवाडा और फ्लोरिडा में हुए चुनावों में भी इसकी झलक दिखी जब 57000 लैटिन लोगों ने वहां वोट किया। इसके अलावा अधिकांश नए युवा मतदाता ट्रंप को पसंद नहीं करते। महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की वजह से भी महिलाएं ट्रंप से कट सकती हैं।

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