सौरभ कालिया को न्याय की जगी उम्मीद, SC में हलफनामा बदलेगी सरकार

Update: 2015-06-01 00:00 GMT


नई दिल्ली,
करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की कैद में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार ने अपने पहले के रुख से पलटते हुए मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जाने की बात कही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार शाम को कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेगी और कोर्ट से पूछेगी कि क्या सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जा सकती है।
सुषमा स्वराज ने मजबूरी गिनाते हुए कहा कि सरकार इस मामले को सीधे इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में नहीं ले जा सकती है। उन्होंने कहा, 'क्योंकि हम दोनों (भारत और पाकिस्तान) कॉमलवेल्थ के देश हैं। इसमें एक प्रावधान है कि कॉमनवेल्थ के देश एक-दूसरे के खिलाफ कम्पल्सरी जूरिडिक्शन का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसी मत के अनुसार हमारे विदेश राज्य मंत्री ने तारांकित प्रश्न का उत्तर दिया था। इसी मत के अनुसार जो हलफनामा यूपीए सरकार ने दाखिल किया था, उसी को हमने दोहराया था।'
सुषमा स्वराज ने कहा कि उनकी सरकार ने इस मामले पर अब अपना स्टैंड बदला है। उन्होंने कहा, 'लेकिन आज हमारी सरकार ने इस मत पर पुनर्विचार किया है और यह कहा है कि सौरभ कालिया को जो यातनाएं दी गई हैं, वह एक अपवाद वाली स्थिति निर्मित करती है। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलें और सुप्रीम कोर्ट से पूछें कि इन प्रावधानों को देखते हुए भी क्या भारत इस तरह के अपवाद वाली स्थितियों में इंटरनैशल कोर्ट ऑफ जस्टिस जा सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट हां करता है तो हम इस मामले को इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस तक ले जाएंगे।'
इससे पहले, संसद में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल पर विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने अपने जवाब में पिछले दिनों कहा था, 'पाकिस्तानी सेना के इस जघन्य और नृशंस अपराध के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया जा चुका है। 22 सितंबर, 1999 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा और अप्रैल 2000 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भारत बयान दे चुका है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से कानूनी तौर पर न्याय पाने के विकल्प भी गंभीरत से विचार किया गया, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं लगा।'

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