बांग्लादेश के साथ सीमा समझौते को कैबिनेट की हरी झंडी

Update: 2015-05-06 00:00 GMT


नई दिल्ली। भारत में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ का सबब बन रही सीमा समस्या सुलझाने के लिए कानूनी संशोधन पर मंत्रिमंडल की मुहर लग गई है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भारत-बांग्लादेश भूमि समझौते(एलबीए) को मंजूरी दे दी गई। अब यह इससे संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को अगले एक-दो दिनों में राज्यसभा में पेश किये जाने की संभावना है। गौरतलब है कि संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल दिसंबर में संविधान संशोधन विधेयक को अपनी कुछ सिफारिशों के साथ मंजूरी दे दी थी।
बांग्लादेश के साथ सीमा समझौते में पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और मेघालय के क्षेत्रों का अदला-बदली किया जाना है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्यसभा में कम संख्याबल के कारण सरकार पहले ही कई पार्टियों से इस संबंध में चर्चा कर चुकी है। पहले प्रस्तावित विधेयक में असम के हिस्से शामिल नहीं थे। लेकिन अंतिम समय में इसमें असम के हिस्से को भी शामिल कर लिया गया। असम को शामिल नहीं किये जाने का कांग्रेस विरोध कर रही थी। इसके पहले सोमवार को इस मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं की लंबी बैठक हुई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर हुई बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा, संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू के साथ ही संघ की ओर से कृष्ण गोपाल मौजूद थे।
गौरतलब है कि संप्रग सरकार ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले 18 दिसंबर 2013 को इस बाबत संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया था, जहां से इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। माना जा रहा है कि भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा निर्धारण के बाद देश में अवैध तरीके से बांग्लादेशियों की आमद रोकी जा सकेगी। साथ ही सीमाओं को अधिक सुरक्षित बनाने में भी मदद मिलेगी। महत्वपूर्ण है कि मई 2014 से पहले विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने तत्कालीन स्वरूप में सीमा विभाजन समझौते का विरोध किया था।


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