ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने मानव जीवन के लिए घाटक सिद्ध हो रही गाजर घास की नियमित सफाई के लिए अभियान चलाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति शील नागू व न्यायमूर्ति बीडी राठी की युगलपीठ ने ग्वालियर समेत नौ जिलों के जिलाधीशों को गाजर घास को हटाने के लिए किए गए कार्य की मासिक रिपोर्ट तैयार कर संभाग आयुक्त को पेश करने का आदेश दिया है । डा. राखी शर्मा ने जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रशासन , ग्वालियर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से उग रही गाजरघास को नष्ट करने में असफल रही है। उन्होंने न्यायालय से सभी पक्षकरों को गाजर घास को जड़ से हटाने के लिए निर्देशित करने की मांग की। इस पर न्यायालय ने विस्तृत आदेश पारित किया साथ ही यह भी स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता ने निस्वार्थ भाव से आमजन से जुड़े मुद्दे को उठाया है।
इसके चलते उन्होंने मध्यप्रदेश शासन को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को एक माह के अंदर पांच हजार रुपए का भुगतान करें। प्रकरण में याची की ओर से पैरवी अभिभाषक राजू शर्मा ने की।
ये दिया आदेश
* श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, विदिशा व भिंड के जिलाधीश, मशीन व कर्मचारियों की सहायता से अपने-अपने जिले में गाजर घास को हटाएंगे और उसकी रिपोर्ट संभागीय आयुक्त को सौंपेगे।
* संभागायुक्त समय-समय पर निरीक्षण कर जिलाधीशों द्वारा दी गई रिपोर्ट की जांच करेंगे और रिपोर्ट की सत्यता पर मुहर लगाएंगे। रिपोर्ट में गलत जानकारी मिलने की स्थिति में संभागायुक्त आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यत कदम उठा सकेंगे।
* जिलाधीशों द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट, संभागायुक्त को हर तीन माह में उच्च न्यायालय के प्रिंिसपल रजिस्ट्रार के समक्ष दायर करनी होगी। इन रिपोर्टों के आधार पर प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को एक पत्र तैयार करना होगा कि जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि जो रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है उससे न्यायालय के आदेश का पालन हो रहा है अथवा नहीं ?