जनपद कार्यालय के खुले ताले

Update: 2015-12-04 00:00 GMT

एक दिन पहले ही अध्यक्षा ने जड़े थे ताले

अशोकनगर | जनपद पंचायत कार्यालय अशोकनगर में बुधवार सांय को अध्यक्षा श्रीमती चंदा बाई और उनके पति ने ताले लगा दिए थे। जिससे देर सांय सभी कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी अपने-अपने कक्षों से बाहर हो गए थे। गुरुवार को जनपद कार्यालय के सभी कक्षों में लगाए गए तालों को आपसी बातचीत के बाद खोल दिए गए हैं।
बीते दिन से शुरू हुआ घटनाक्रम की मुख्य वजह कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का कारण बताते हुए जनपद पंचायत की अध्यक्षा श्रीमती यादव और उनके पति भानुप्रताप सिंह यादव रातीखेड़ा ने कार्यालय के कक्षों में ताला बंदी कर दी थी। तालाबंद करने के बाद उन्होंने तालों की चाबी भी अपने पास रख ली थी। गुरुवार को कार्यालय खुलने के समय मामले में जिला पंचायत सीईओ एमएल वर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों और सीईओ के साथ बातचीत करके एक दिन पहले से बंद कक्षों के ताले खुलवाने पर सहमती बनवाई। करीब 11 बजे से जनपद पंचायत कक्ष में कामकाज के लिए अधिकारी कर्मचारी अपनी सीट पर बैठे और कामकाज शुरू हुआ। उल्लेखनीय है कि बीते दिन जनपद अध्यक्ष और उनके पति ने वाहन में डीजल खर्च की राशि का भुगतान न होने और कार्यालय में लोगों को परेशान होने व भ्रष्टाचार होने का कारण बताते हुए ताला बंदी की थी। अगले दिन ही इन समस्याओं का समाधान क्या हुआ? यह तो नही मगर आपसी सहमती बनने के पश्चात कामकाज की शुरूआत कार्यालय से हो सकी। बताया जा रहा है कि प्रदेश में जहां भाजपा शिवराज सरकार के 10 वर्ष पूरे होने पर जश्न मना रही है।
वहीं जिले में भाजपा के पदाधिकारी जो कि पंचायतों में भी प्रतिनिधि हैं वे कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान होकर तालाबंदी करने को विवश हैं। इस संबंध में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरएल ओझा ने बताया कि जनपद अध्यक्ष द्वारा जिनके द्वारा कार्य न करने की जानकारी दी गई थी उन्हें संबंधित शाखा से पहले ही बदल दिया गया था। जहां तक उनके वाहन में डीजल की राशि की बात है तो लॉग बुक के बाद भुगतान किया जाएगा। वहीं जिला पंचायत सीईओ एमएल वर्मा ने कहा कि ऐसी समस्या नही आनी चाहिए। सभी अधिकारी-कर्मचारी जनपद प्रतिनिधियों के आपसी सहयोग से करें। आपसी सहमती के बाद कामकाज शुरू हो गया है।
पहले से है विवादों का नाता:
जनपद पंचायत अशोकनगर में पंचायत के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच विवाद का यह पहला मामला नही है। इससे पहले बीते पंचवर्षीय में भी सीईओ और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच विवाद के मामले सामने आए थे।

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