नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सार्क देशों से अतीत के विभाजनों को पीछे छोड़कर साझा भविष्य की तरफ अग्रसर करने की अपील की है । साथ ही उन्होंने बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्तों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने नई दिल्ली में घुड़सवार अधिकारी संघ द्वारा आयोजित घुड़सवारी स्मारक भाषण के दौरान कहा कि व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि सार्क देशों की संपूर्ण क्षमता को महसूस नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। यह तय करना हमारे ऊपर है कि हम तनाव के हालात पैदा करके रहना चाहते हैं या शांति और सामंजस्य के माहौल में साथ-साथ विकास करना चाहते हैं ।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-बांग्लादेश रिश्ते का विकास साझा भविष्य की ओर देखने के लिए अच्छा उदाहरण है। भारत-बांग्लादेश के रिश्ते 1974 के बाद आज सबसे अच्छे हैं। यह आपसी लाभ, समानता और संप्रभुता का सम्मान करने पर आधारित है। हमारे बढ़ते सहयोग पड़ोसियों के बीच साझी समृद्धि की एक तस्वीर हैं। हम हमेशा से विश्वास करते रहे हैं कि मजबूत, स्थायी और समृद्ध पड़ोसी हमारे हित में हैं। अपने नागरिकों की ज्यादा सुविधा के लिए हमने तीन बस सेवाएं संचालित की हैं ।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने जोर देते हुए कहा कि बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और भारत के बीच क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग भी गहरा होना चाहिए। साथ ही सड़क, रेल, नदियां, समुद्र, बिजली के तार, पेट्रोलियम पाइपलाइन और डिजिटल लिंक बढ़ने चाहिए ।
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया का एकीकृत बाजार बनना चाहिए। वैश्विक बाजार के तार क्षेत्रीय व्यवस्था के दायरे में जोड़ने चाहिए। बांग्लादेश में भारतीय निवेश से नौकरियां सृजित करने और उन्नत प्रौद्योगिकी में मदद मिलेगी। इस निवेश के जरिये बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रतिस्पर्धी और निर्यात बढ़ने के ज्यादा मौके पैदा होंगे। यही कारण है कि दोनों सरकारों ने बांग्लादेश में भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने में सहयोग पर सहमति जताई। यह दोनों व्यापारिक समुदायों के बीच ऐतिहासिक संपर्कों को बहाल करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि बांग्लादेश और भारत को अपने व्यापक उपभोक्ताओं तक पहुंच बढ़ाने और सस्ते और स्वच्छ ऊर्जा को खरीदने के लिए साथ आना चाहिए। दोनों तरफ सौर और पवन ऊर्जा के नवीकृत स्वरूप को विकसित करने की व्यापक क्षमताएं हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हुआ है। हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में हम गरीबी उन्मूलन के लिए जबरदस्त सहयोग का परिचय देंगे जिससे विकास बढेगा और व्यापारिक उभार के साथ ही निवेश में भी इजाफा होगा। साथ ही, हमारे सहयोग के चलते आतंकवाद, चरमपंथ और कट्टरता वाली ताकतें खत्म होंगी।