राजस्व भूमि के जंगलों से बदली जाएगी वन भूमि

Update: 2015-01-04 00:00 GMT

भोपाल। प्रदेश के जिलों में विकास योजनाओं हेतु बहुधा वन भूमि की जरुरत भी पड़ती है और ऐसी भूमि को प्राप्त करने या उसके व्यपवर्तन में काफी समय लग जाता है। इसके समस्या से निजात पाने के लिये मुख्य सचिव अन्थोनी डिसा ने नया उपाय किया है और उन्होंने राजस्व भूमि पर स्थित छोटे-बड़े झाड़ के जंगलों से वन भूमि को बदलने की प्रक्रिया प्रारंभ की है।
इस संबंध में मुख्य सचिव श्री डिसा ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को वन संरक्षण अधिनियम,1980 के अंतर्गत वैकल्पिक पौधरोपण हेतु छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की राजस्व भूमि जानकारी भेजने उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किये हैं। श्री डिसा ने अपने निर्देशों में कहा है कि उनके ध्यान में यह तथ्य लाया गया है कि राज्य की ऐसी विकास योजनाएं जिनमें वन भूमि की आवश्यकता होती है, वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अंतर्गत वन भूमि के व्यपवर्तन के प्रस्ताव तैयार करने में गैर वन भूमि की उपलब्धता का पता लगाने में काफी समय लग जाता है। प्रदेश के कुछ जिलों में गैर वन भूमि के स्थापित भूमि बैंक से भी जमीनों का उपयोग हो चुका है। ऐसी स्थिति में ऐसी विकास योजनाएं जिनमें वन भूमि की आवश्यकता है, उनकी स्वीकृति में काफी समय लग रहा है।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए है कि इस परिपेक्ष्य में जिला कलेक्टर अपने जिले में छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीनें चिन्हित कर उसका विवरण 15 जनवरी,2015 तक पूर्ण कर प्रमुख सचिव राजस्व एवं प्रमुख सचिव वन को उपलब्ध करायें तथा ऐसी चिन्हित भूमियों की सूची स्थानीय वनमंडल अधिकारी (क्षेत्रीय) को भी उपलब्ध कराएं। इस कार्य की प्रगति का विवरण जानने के लिये वे स्वयं जनवरी,2015 में ही जिलेवार समीक्षा शुरु करेंगे।

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