राष्ट्र के विकास को जन आंदोलन बनाने की जरूरत: नरेन्द्र मोदी

Update: 2014-09-05 00:00 GMT

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर देशभर के छात्रों को संबोधित किया और राष्ट्र के विकास को जन आंदोलन बनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने बच्चों से संवाद करते हुए इस बात का खुलासा किया कि बचपन में वह भी शरारतें किया करते थे और उनका मानना है कि शरारत के बिना बचपन बेमानी है।
बातचीत के दौरान एक बच्चे द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या बचपन में उन्होंने भी शरारत की है, मोदी ने कहा कि मैं भी शरारत करता था। बताता हूं कैसे शरारत करता था। शादी के अवसर पर जो शहनाई बजाते, हम कुछ दोस्त मिलकर उन्हें इमली दिखाकर छेड़ा करते थे।
उन्होंने अपनी बचपन की यादों को कुरेदते हुए बड़े शरारती अंदाज में बच्चों से कहा कि आप लोग जानते हैं, इमली दिखाने से क्या होता है। इस दौरान मोदी के चेहरे पर बालसुलभ मासूमियत उभर आई और उन्होंने कहा कि इमली दिखाने से मुंह में पानी आ जाता है और पानी आने पर वह शहनाई वाले शहनाई नहीं बजा पाते थे और हमें मारने के लिए दौड़ते थे।
अपनी इस शरारत को बताने के साथ ही उन्होंने बच्चों से यह वादा भी लिया कि वह शहनाई वालों को इस तरह से तंग नहीं करेंगे। बचपन की शरारतों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई बालक ऐसा कैसे हो सकता है कि वह शरारती न हो। बालक में मस्ती और शरारत होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि इन दिनों बहुत तेजी से बच्चों का बचपना मर रहा है। उन्होंने स्कूली दिनों में ही बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक बोक्ष बढ़ जाने की पष्ठभूमि में कहा कि आजकल के बालक समय से पहले ही अलग से सोचने लगते हैं, लेकिन बालक का बचपना दीर्घकालीन होना चाहिए, उसमें पूरी मस्ती और शरारत होनी चाहिए।
विद्यार्थियों को संबोधित करने के लिए दिल्ली में सरकारी स्कूलों के 600 तथा केंद्रीय विद्यालयों के 100 छात्र-छात्राओं का चयन मानेकशा ऑडिटोरियम में मोदी को सुनने के लिए किया गया था।
ऑडिटोरियम में इन 700 विद्यार्थियों समेत करीब 1000 लोग मोदी के भाषण को सुन रहे थे। इसके अलावा देशभर में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुन रहे बच्चों में से करीब 15 विद्यार्थियों के सवालों के जवाब प्रधानमंत्री ने दिए।


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