मुजफ्फरनगर दंगों को रोकने में यूपी सरकार ने बरती लापरवाही : उच्चतम न्यायालय

Update: 2014-03-26 00:00 GMT

नई दिल्ली | मुजफ्फरनगर दंगों के मसले पर यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने  इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यूपी सरकार की लापरवाही से यह दंगा हुआ। कोर्ट ने यूपी की अखिलेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा राज्य में हालात बिगड़ने के लिए पूरी तरह प्रशासन जिम्मेदार रहा। कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार दंगों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही।
साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सितम्बर 2013 में हुए दंगों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने का अनुरोध खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों ने समय रहते इस बारे में पता लगा लिया होता तो दंगों को रोका जा सकता था।
दंगों की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने हालात से निपटने के लिए राज्य पुलिस की ओर से उठाए गए कदमों पर भी नाराजगी जताई। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकने में विफल रही, जबकि लोगों के अधिकारों की रक्षा करना उसकी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने दंगों में प्रभावित परिवारों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क को नकार दिया कि लोगों के भारी विरोध की वजह से वह शुरू में आरोपियों को नहीं गिरफ्तार कर पाई।
दंगे के केवल मुसलमान पीड़ितों को ही राहत एवं सहायता मुहैया कराने के राज्य सरकार के एक परिपत्र के संबंध में न्यायालय ने निर्देश देते हुए कहा कि राहत एवं सहायता पीड़ितों के धार्मिक उपनाम के आधार पर नहीं, बल्कि सभी वास्तविक दंगा पीड़ितों को उपलब्ध कराए जाने चाहिए। पिछले साल सितंबर में मुजफ्फनगर और शामली में हुए दंगों में 48 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों परिवार बेघर हुए थे।

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