अब झूठे वायदों पर जवाब देने होंगे राजनीतिक दलों को

Update: 2014-02-23 00:00 GMT

नई दिल्ली | राजनीतिक दल अब अपने चुनावी घोषणापत्रों में मुफ्त उपहारों के लंबे-चौड़े वायदे नहीं कर सकते और उन्हें ऐसा करने पर अपनी घोषणाओं के पीछे के तर्क रखने होंगे तथा वित्तीय जरूरतें पूरी करने के तरीके और रास्ते बताने होंगे।
चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों पर चुनावों से पहले सभी को समान अवसर देने की दिशा में कदम उठाया है। चुनावी घोषणापत्रों पर राजनीतिक दलों को जारी दिशानिर्देशों में चुनाव आयोग ने उनसे ऐसे वायदे नहीं करने को कहा है जो माहौल को प्रभावित करें या मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालें।
आयोग ने कहा कि मतदाताओं का विश्वास केवल उन वायदों पर हासिल करना चाहिए जिन्हें पूरा करना संभव है। उच्चतम न्यायालय ने 5 जुलाई, 2013 को अपने फैसले में कहा था कि भले ही चुनावी घोषणापत्र में किये गये वायदों को कानून के मुताबिक भ्रष्ट कार्यप्रणाली नहीं समझा जा सकता, लेकिन किसी भी तरह के मुफ्त उपहार बांटने से सभी लोगों पर प्रभाव तो पड़ता ही है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इससे बड़े स्तर पर निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने की बुनियाद ही हिल जाती है। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि चुनाव में किस्मत आजमा रहे दलों और उम्मीदवारों के लिए चुनावों के दौरान समान अवसर मुहैया कराये जाएं और चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता प्रभावित नहीं हो।
चुनाव आयोग ने गत 7 फरवरी को राजनीतिक दलों के साथ बैठक में उनके विचारों को शामिल करने के बाद दिशानिर्देशों को जारी किया है और उन्हें आदर्श आचार संहिता में शामिल किया है।

Similar News