जनमानस

Update: 2014-12-06 00:00 GMT

मुद्दों का भी राष्ट्रीयकरण

देश वाकई बदल रहा है और कई तरह के उदाहरणों से ये सिद्ध भी हो रहा है लेकिन क्या देश वाकई बदल रहा है और अगर इसका कोई सच्चा जवाब है तो वो ये है कि 60 सालों से जंग खा रही देश की राजनीति में बदलाव आ रहा है तो कह सकते हैं कि देश वाकई बदल रहा है। मध्यप्रदेश में इन दिनों नगरीय निकाय चुनाव की अधेड़बुन में मुद्दों का भी राष्ट्रीयकरण हो गया है जहां पिछले इस तरह के चुनावी सीजन में मुद्दे आम और स्थानीय हुआ करते थे। वहीं निगम के इन चुनावों में अब मुद्दे कालाधन, स्वच्छता अभियान, सरकार के सौ दिन और नरेन्द्र मोदी के विदेशी दौरों का हिसाब-किताब है जहां एक ओर पिछले चुनावों तक लोग अपने-अपने वार्डों की सीमाओं से सटे चाय के ठीयों, चरसी और अफीमचियों की ख्वाबगाहनुमा पार्कों की अधटूटी बेंचों पर बैठ कर वार्डों की खस्ताहाल सड़कों और क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं और विकास की बात कर मौजूदा पार्षद को कोसते हुए चुनाव का आनंद लेते थे वहीं अब लोग एक पायदान ऊपर उठकर अखबारों की राष्ट्रीय खबरों की जुगाली अपने-अपने अंदाज में करते दिखाई देते हैं। जिससे ये तो साफ जाहिर होता है कि देश मौजूदा मोदी सरकार के नेतृत्व में विकास कितना करेगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा परन्तु देश के आम जनमानस के विचारों में जिस तरह तेजी से विकास हुआ है वो वाकई मोदी का जादू है।

 

                                                            मो. सलमान खान, ग्वालियर

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