अग्रलेख

Update: 2014-11-10 00:00 GMT

बाघा सीमा विस्फोट के निहितार्थ 

  • अवधेश कुमार


बाघा सीमा पर पाकिस्तान की ओर हुए भयानक आत्मघाती विस्फोट की कई परतें अब खुल चुकीं हैं, पर पूरा सच सामने आना शेष है। नि:संदेह, इसे हर दृष्टि से भयावह एवं भविष्य के लिए चिंताजनक माना जाएगा। भारत-पाकिस्तान सीमा पर ध्वजों को नीचे उतारने के लिए आयोजित रीट्रीटिंग समारोह में दोनों ओर भारी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। यह समारोह दुनिया में अपने किस्म का अनोखा है। दोनों ओर आम नागरिकों की संख्या इतनी अधिक होती है कि वहां अगर कोई चाहे तो कोहराम मचा सकता है। आतंकवादियों के लिए अधिक जन हानि पहुुंचाने के लिए समारोह का समय सबसे अनुकूल माना जाएगा। तो आतंकवादियों ने इस अनुकूल समय और स्थान का भयानक उपयोग करने में सफलता पा ली। वैसे तो पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाएं इतनी हो गई हैं कि अब इसे दुनिया की मीडिया सुर्खियां तो छोडि़ए कई बार खबर भी नहीं बनाती, पर बाघा सीमा पर यह पहली बार हुआ है और उसमें 60 से ज्यादा लोगों का मरना एवं उसके चार गुणा से ज्यादा का घायल होना सामान्य बात नहीं है। विस्फोट इतना तगड़ा था कि आसपास के दुकानों तक को भारी नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तानी पुलिस के मुताबिक आत्मघाती हमलावर अपने साथ करीब 20 से 25 किलो विस्फोटक लाया था। इसमें से कुछ विस्फोटक उसने अपने जैकेट के अंदर छिपा रखा था।
लेकिन यह भारत की सीमा में किया जाना था यह निष्कर्ष भी जल्दबाजी है। साथ ही तहरीक ए तालिबान की धमकी कि आगे हम उस ओर भी धमाका करेंगे के आधार पर इसका मूल्यांकन भी हमें अतिवादी व्याख्या को बाध्य करेगा। कश्मीर में हमले और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बदला लेने की बात भी कोई नई नहीं है। हां, हम इसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल नहीं सकते पर इसके आलोक में ही बाघा सीमा विस्फोट का मूल्यांकन किया जाए यह उचित नहीं होगा। नि:संदेह, हमला पूर्व नियोजित था। हां यह कहना मुश्किल है कि आत्मघाती आतंकवादी ने हमले का समय स्वयं चुना या फिर वह उसके सामने उसी जगह और समय अपने को उड़ा देने की मजबूरी पैदा हो गई थी, पर जो समय था वह आतंकवादियों की योजना के अनुकूल था.....जब रेंजर परेड समारोह देखने के बाद बड़ी संख्या में लोग बाहर निकल रहे थे। रविवार का दिन, भीड़ अधिक और उसने एक निकासी द्वार के पास स्वयं को उड़ा दिया। आतंकी संगठन जुनदुल्लाह और जमात-उल-अहरर ने विस्फोट के बाद ही बयान जारी कर बता दिया कि ये हमने कराये हैं। इन संगठनों को अल कायदा से जुड़ा माना जाता रहा है। इसके द्वारा जिम्मेवारी लेने का इतना असर तो हुआ कि कम से कम भारत इल्जाम से बच गया है।
उस पार के सुरक्षा प्रबंधों की यहां बातें की जा सकती हैं। एक रिपोर्ट में एक सवाल के जवाब में वहां के आईजी का वक्तव्य है कि रेंजरों ने कड़े सुरक्षा उपाय किए थे लेकिन आत्मघाती हमलावर की जांच करना मुश्किल था। मुहर्रम के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। आईजी ने कहा कि हमें रिपोर्टें मिली थीं कि कुछ प्रतिबंधित संगठन शियाओं, धार्मिक हस्तियों, जन रैलियों और महत्वपूर्ण इमारतों को निशाना बना सकते हैं। एक में आईजी का वक्तव्य है कि आत्मघाती हमलावर सीमा पर परेड ग्राउंड के गेट पर रुका और जब लोग गेट के पास एकत्र हुए तो उसने बम में विस्फोट कर दिया। दूसरी ओर पंजाब पुलिस के प्रमुख मुश्ताक अहमद सुखेरा ने कहा कि फिदायीन हमलावर को बाघा बॉर्डर के परेड ग्राउंड के चैक पोस्ट पर जैसे ही रोका गया, उसने विस्फोट कर दिया। उस समय वहां काफी लोग मौजूद थे। स्पष्ट है कि इनमें से सच तो एक ही होगा। पाकिस्तान की बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था में इस प्रकार के बयान अस्वाभाविक नहीं हैं।
किंतु हमारे लिए पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था से ज्यादा चिंता का कारण उस स्थान पर विस्फोट होना है। यह इसलिए क्योंकि बाघा सीमा पर ऐसा कभी नहीं हुआ। वहां सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी होती है। प्रति दिन ध्वज नीचे उतारने का समारोह वर्षों से आयोजित हो रहा है और इसे देखने के लिए सीमा के दोनों ओर के नागरिक भारी संख्या में एकत्र होते हैं। विशेष रोमांच का क्षण होता है। उस जगह विस्फोट का पहला अर्थ तो यही है कि वे समारोह से लोगों को दूर करने के लिए भय पैदा करना चाहते थे। लेकिन क्यों? उस समारोह से उन्हें क्या समस्या हो सकती है? साफ है कि भारत पाकिस्तान के बीच किसी प्रकार के संपर्क संवाद के वे खिलाफ हैं। शायद यह प्रमुख कारण रहा हो। शायद पाकिस्तान में जिस तरह उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है उससे भी उनकी नाराजगी हो, और वे नवाज शरीफ के गृृह प्रदेश मेें एकदम सीमा पर विस्फोट से उन्हें चेतावनी दे रहे हों। ऐसा लगता है कि वे यह संदेश भी देना चाह रहे हैं कि हमारी ताकत केवल सिंध, फाटा, खैबर पख्तूनख्वा यानी पश्चिम भागों में ही नहीं है, हम पूर्वी भाग और भारतीय सीमा से लगे जम्मू कश्मीर के इलाकों के अलावा भी हिंसा का सामथ्र्य रखते हैं। इस संदेश का अलग खतरनाक तात्पर्य है। हलांाकि समारोह को तीन दिनों तक रोकने के फैसले को खत्म कर रीट्रीट को आयोजित करने का फैसला बिल्कुल सही है। इससे आतंकवादियों को कठोर संदेश गया है और जनता भी भारी संख्या में दोनों ओर उपस्थित हुई।
वैसे भी बाघा बोर्डर हमारे यहां अमृतसर से लाहौर को जोडऩे वाला एकमात्र संपर्क द्वार हैै, जहां से दोनों तरफ के नागरिक सबसे ज्यादा संख्या में आते हैं। बसें भी वहां से आतीं जातीं हैं। तनाव के बीच भी बसें चालू हैं। तो एक कारण समझ में आता है। लेकिन आतंकवाद का जम्मू -कश्मीर से लगे सीमा या नियंत्रण रेखा के अलावा अन्य राज्यों की सीमाओं तक आ जाना हमारे लिए चिंता का कारण है। हालांकि इसके पूर्व भी पाकिस्तान वाले पंजाब के कई इलाकों में आतंकवादी हमले हुए हैं, जिसमें हमारी सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित पुुलिस प्रशिक्षण केन्द्र भी शामिल है। पर आम तौर पर पंजाब शांत माना जाता था। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने गृह प्रदेश को लेकर कुछ ज्यादा चौकस रहते हैं। साफ है कि आतंकवादियों ने उन्हें भी कुछ संदेश दिया है। अगर वे उस संदेश को ठीक से समझते हैं तो यह उन्हें भारत के खिलाफ और कड़े रुख अपनाने को बाध्य करने वाला है।
इन सबके हमारी सुरक्षा की दृष्टि से संकेत खतरनाक हैं। एकदम सीमा पर इस हमले ने भविष्य के लिए कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। अभी पिछले अगस्त के अंत में राजस्थान के आतंकवाद निरोधी दस्ते की ओर से यह खबर आई थी कि गृहमंत्रालय ने सीमा पार से 15 खूंखार आतंकवादियों के घुसपैठ की कोशिश की आशंका जताई है। उसके बाद सीमा सुरक्षा बल ने जैसलमेर, बाड़मेर और श्रीगंगानगर की सीमा पर सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी। अब संभवत: पंजाब सीमा पर भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो जाए। वैसे तो पहले से चौकसी है, लेकिन आतंकवादियों के इन रास्ते प्रवेश या विस्फोट करने की आशंका अभी तक नहीं थी। तो क्या ये जम्मू कश्मीर सीमा पर तनाव और गोलीवारी का लाभ उठाकर स्थिति को और बिगाडऩे की कोशिश कर रहे हैं? हां और शरीफ सरकार यदि तत्काल इससे बचने के लिए वर्तमान स्थिति को बनाए रखने की नीति अपनाती है तो फिर बताने की आवश्यकता नहीं कि क्या होगा।
बहरहाल, पाकिस्तान इससे किस तरह निपटता है यह पाकिस्तान जाने। कई गिरफ्तारियां होने की बात कही जा रहीं हैं। पाकिस्तान हमारा तो किसी तरह का सहयोग ले नहीं सकता, पर भारत के लिए तो अपनी सीमाओं के साथ आंतरिक सुरक्षा के प्रति ज्यादा सतर्क और किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने की दृष्टि से ज्यादा तैयार रहने की विवशता पैदा हो रही है। वैसे भी पेंटागन रिपेार्ट ने साफ कर दिया है कि भारत विरोधी आतंकवादियों को पाकिस्तान का हर प्रकार का सहयोग और समर्थन जारी है। आत्मघाती हमलावर से निपटना आसान नहीं होता। हमारी सीमा पर कई स्थान ऐसे हैं जहां एक-दूसरे के इलाके से होकर गुजरना पड़ता है। कोई रेंजर के वेश में आकर विस्फोट कर दे। कुछ भी हो सकता है। यह पंजाब में आतंकवाद के दौर के बाद हमारे लिए एकदम नई चुनौतियां पैदा होने का संकेत हो सकता है। हो सकता है इस समय इसे अतिवादी आकलन मान लिया जाए। पर यह न भूलिए कि हाल ही में अल कायदा ने पूरे क्षेत्र के लिए अलग से अपनी इकाई का ऐलान किया है जिसका कमांडर भी नियुक्त कर दिया गया है। कहा जाता है कि वह कमांडर भी कोई भारतीय है जिसके जिम्मे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश..... आदि आते हैं।

Similar News