केजरीवाल जी ऐसे समाधान नहीं होता
दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल जिस प्रकार से आम जनता को सब्ज बाग दिखाकर वाहवाही लूट रहे हैं। वह केवल इस बात को इंगित करता दिखाई देता है कि उनको अब राजनीति करना आ गई है। लेकिन वे भूल रहे हैं कि जो चीज जितनी जल्दी ऊपर उठती है उसे नीचे आने में समय नहीं लगता। अरविन्द केजरीवाल के साथ भी कुछ इसी प्रकार की कहानी दिखाई देती है। उन्होंने भारतीय राजनीति से त्रस्त जनता की दुखती रग पर हाथ रखकर लोकप्रियता का स्वाद तो चख ही लिया है, वास्तव में देखा जाए तो वर्तमान में भारत की जनता राजनेताओं के कारनामों से दुखी है, जनता को उस दुख से निवारण चाहिए, उनके बीच में जाकर उनकी समस्याएं सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा था। लोग कांगे्रस का विकल्प तलाशने लगे हैं। अभी जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, उससे तो कदाचित यही प्रमाणित होता है कि कांगे्रस एक डूबता हुआ जहाज है। कांगे्रस की नीतियों का शुरू से ही विरोध कर रही भारतीय जनता पार्टी एक स्पष्ट विकल्प के रूप में जनता की पहली पसन्द है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र भाई मोदी के सपने आम भारतीय से काफी मेल खाते हैं। दिल्ली में भाजपा कांगे्रस के विरोध में प्रथम विकल्प के रूप में सामने आई है, और आम आदमी पार्टी विकल्प के रूप में दूसरे स्थान पर है। आज भले ही आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बन गई हो, लेकिन यह सत्य है कि वह दिल्ली की जनता की पहली पसन्द नहीं है। दिल्ली सरकार के वर्तमान मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने जिस प्रकार से दिल्ली की जनता से वादे किए हैं, उनमें एक वादा जनलोकपाल का भी है, इस विषय में केजरीवाल का कहना था कि यह विधेयक 15 दिन में आ जाएगा, लेकिन आज 20 दिन से भी ज्यादा का समय व्यतीत हो चुका है और सरकार की ओर से इस बारे में प्रयास भी प्रारंभ नहीं किए गए। ऐसे में जनलोकपाल को कितना समय और लगेगा अभी इस बारे में कह पाना मुश्किल है।
सुरेश हिन्दुस्थानी, ग्वालियर