जनमानस

Update: 2013-04-05 00:00 GMT

ओलावृष्टि से फसल प्रभावित


 मौसम बार-बार करवट बदल रहा है, मौसम के बिगड़े मिजाज का असर कृषि पर पड़ रहा है। तापमान में गिरावट व ओलावृष्टि से प्रदेश में करीब 35 फीसदी फसल प्रभावित हुई है। ओलावृष्टि से मैदानी इलाकों में तूफान से फसल खेतों में बिछ गई है। मौसम चक्र में बदलाव का कारण प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है। प्रकृति बाढ़, भूस्खलन व सूखे के रूप में बार-बार चेता रही है लेकिन मनुष्य इससे सबक नहीं ले रहा है। हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है व क्रंकीट के जंगल दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं।  देश-विदेश के पर्यटक प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य में सुकून के कुछ पल गुजारने के लिए आते हैं लेकिन अब उन्हें इसके लिए ऊंचे पहाड़ों पर पहुंचना पड़ रहा है।  यदि जरूरत के अनुसार एक पेड़ काटना पड़ता है तो इसकी एवज में कम से कम पांच पेड़ लगाए जाने चाहिए। सरकारी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास तो किए जाते हैं लेकिन लोगों की सहभागिता के बिना कोई भी पहल सफल नहीं हो सकती है।
 लोगों को चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक हों व दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें। जब हर इन्सान सचेत होगा तभी पृथ्वी को हरा-भरा रखा जा सकेगा।

 

                                              रामकृपाल द्विवेदी  सुभाषनगर ग्वालियर

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