जनमानस

Update: 2013-02-07 00:00 GMT

वर्मा आयोग की सिफारिशें व समाज

 

दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद सरकार सचेत हुई और उसने महिलाओं के प्रति होने वाले यौन उत्पीडऩ के मामलों में कार्रवाई करने हेतु पूर्व न्यायाधीश श्री वर्मा की अध्यक्षता में जो आयोग बनाया उसने अपनी सिपारिशें सरकार को भेज दीं जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति से अध्यादेश भी जारी करवा दिया।
आज समाज का जो वातावरण है (विगत 2-3 माह) से वह निश्चित रूप से भयावह है तथा दुष्कर्म की घटनाएं भी रोज हो रही हैं। किन्तु क्या इन सिफारिशों को अध्यादेश के द्वारा अमल में लाने के बाद भी इन घटनाओं में कमी आ पाएगी यह विचारणीय प्रश्न है। आज समाज ने भी इन सिफारिशों को अपनी मौन स्वीकृति भले ही दे दी होगी किन्तु आने वाले समय में क्या गारंटी है कि जो सिफारिशें लागू  हो रही हैं। उनका उपयोग या दुरुपयोग किस प्रकार हो सकता है।
 और पुरुष समाज रूपी रथ के दो पहिए हैं। दोनों यदि साथ साथ चलेंगे तभी रथ आगे बढ़ सकता है। लेकिन एक आगे व एक पीछे रहेगा तो समाज का चलना मुश्किल हो जाएगा। आज इन सिफारिशों ने महिला व पुरुष में एक विवाद रेखा रेखांकित की हुई प्रतीत होती है। जो महिलावर्ग को पुरुष वर्ग से बिल्कुल अलग करती है या हम यह कह सकते हैं कि समाज ने महिलाओं के लिए एक अघोषित विशेष दर्जा बना दिया है। क्या यह प्रकृति प्रदत्त नियमों का उल्लंघन नहीं  है, स्वतंत्रता की भी एक मर्यादा है क्या हम इन मर्यादाओं में अपने आप को मर्यादित रख सकते हैं कानून के कुछ प्रावधानों का तो निश्चित रूप से दुरुपयोग होने की संभावना ज्यादा है।
                                                                

                                                                     संजय जोशी, ग्वालियर

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