नंदी-हसन विवाद दर्शा रहा है समाज में बढ़ती असहिष्णुता: थरूर

Update: 2013-02-03 00:00 GMT

नई दिल्ली । केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा है कि कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ या समाजशास्त्री आशीष नंदी की कथित दलित विरोधी टिप्पणी को लेकर हुआ हालिया विवाद समाज का बिंब है जो लगता है कि प्रतिस्पर्धी असहिष्णुता की संस्कृति बनता जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने लेखक सलमान रुश्दी को पिछले हफ्ते कोलकाता में प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने पर भी खेद प्रकट किया। किसी व्यक्ति की भावना आहत न हो और हिंसा न भड़के इसके लिए व्यक्ति की अभिव्यक्ति में सतर्क संतुलन स्थापित करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश अब तक उस स्थिति तक नहीं पहुंचा है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ठेस पहुंचने के अधिकार को शामिल किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा, ‘मेरी राय में यह कहने के अधिकार को शामिल किया जाए जो किसी को ठेस पहुंचा सकता है और उससे विरोधी दलील चर्चा तथा वाद-विवाद पैदा होता है लेकिन इस बिंदु तक नहीं जहां कोई सरकार या न्यायाधीश इस बात को निर्धारित करे की यह जन व्यवस्था के लिए खतरा है।’ उन्होंने कहा, ‘एक समाज के तौर पर हमारे लिए सही संतुलन ढूंढना चुनौती है जिसका पलड़ा स्वतंत्रता की ओर अधिक भारी हो, न कि दमन की ओर।’
नंदी की कथित दलित विरोधी टिप्पणी पर राजनैतिक वर्ग के एक तबके की ओर से उनकी गिरफ्तारी की मांग को अनावश्यक करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘समाजशास्त्री ने जो कहा उससे असहमत होने के वैध आधार थे लेकिन राजनैतिक वर्ग के एक तबके की ओर से उनकी गिरफ्तारी की मांग करना बिल्कुल अनावश्यक था।’ हालांकि, उन्होंने महसूस किया कि नंदी किसी को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए अपनी बात बेहतर तरीके से रख सकते थे।
 कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम पर प्रतिबंध पर उन्होंने कहा, ‘एक बार फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र मिल जाने के बाद उसे दिखाया जाना चाहिए और अगर फिल्म में कही गई बात को आप नहीं समझते हैं तो आप फिल्मकार से संवाद करें, जरूरत पड़ने पर दलील दें, प्रदर्शन करें लेकिन फिल्म का प्रदर्शन न रोकें।’इन तमाम मुद्दों की समीक्षा करते हुए थरूर ने कहा कि पिछले हफ्ते जो अशांति देखने को मिली वो इसलिए थी ‘क्योंकि हम प्रतिस्पर्धी असहिष्णुता की संस्कृति बनते जा रहे हैं।’



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