जनमानस

Update: 2013-12-30 00:00 GMT

ईसाई नहीं, हिन्दू-ईसाई हैं


शहर के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के अनुसार उत्तरप्रदेश के विभिन्न शहर आगरा, अलीगढ़, कासगंज, बरेली, बदायूं, बिजनौर, मैनपुरी और फिरोजाबाद में  बुधवार को करीब साढ़े पांच हजार लोगों ने ईसाई धर्म त्याग कर पुन: हिन्दू धर्म में वापस आ गए। इसके साथ ही शाहजहां पुर में सात मुसलमानों ने भी हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है। हिन्दू धर्म स्वीकार करने वालों में अधिकांश का यह कहना है कि प्रलोभन के कारण ही हमने ईसाई धर्म अपनाया था। उनकी इस बात से यह साफ जाहिर होता है कि इसके पूर्व वे सभी ईसाई हिन्दू ही थे। ऐसे में समाचार पत्र का यह कहना कि पांच हजार ईसाईयों ने हिन्दू धर्म अपनाया यह सर्वथा अनुचित सा प्रतीत होता है। इसके बजाय समाचार पत्र को यह कहना चाहिए था कि पांच हजार हिन्दू ईसाई इसाईयत को त्याग अपने घर लौैटे
आज हमारे देश में जितनी भी ईसाई या मुसलमानों की संख्या है। क्या उनके पूर्वज ईसाई या मुसलमान थे? इनसे अगर यह प्रश्न किया गया तो शायद ही इस प्रश्न का उत्तर इनमें से किसी के पास होगा। मुगलों या फिर ईसाइयों के प्राचीन भारतीय इतिहास का अवलोकन करें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि मात्र अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इन दोनों समुदायों द्वारा किस तरह साम, दाम, दण्ड, भेद के अनुसार हिन्दुओं को धर्मान्तरण के लिए विवश किया। एक ओर औरंगजेब ने हमारी गर्दन पर तलवार रख कर हमें मुसलमान बनने पर बाध्य किया वही दूसरी ओर ईसाईयों ने हमारी अशिक्षा, मजबूरी और गरीबी को सम्बल बनाया। हमें इस कटु सत्य को स्वीकारना ही होगा कि ,आज हमारे देश में जितने भी ईसाई या मुसलमान है उनके रगों में हिन्दुस्थानी रक्त का ही प्रवाह है। इन्होंने भले ही किसी विशेष परिस्थिति के भ्रमक स्थिति में अपना धर्म परिवर्तन कर लिया हो लेकिन है तो हिन्दू ही। आज हमारे 5000 पथ भ्रमित हिन्दू ईसाइयों ने जिस तरह हिन्दू धर्म पुन: स्वीकार कर घर वापसी की है यह हमारे लिए अत्यन्त गौरव की बात है। इस कड़ी में इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन धर्म जागरण समिति का प्रयास है। जिसने 5000 पथ भ्रमित हिन्दू ईसाईयों के भ्रम को सत्य के प्रकाश में आलोकित कर ठीक क्रिसमस के दिन इन हिन्दू ईसाइयों को पूर्ण हिन्दू में परिवर्तित कर दिया इसके लिए धर्म जागरण समिति की जितनी भी सराहना की जाए कम है। आज राष्ट्र को ऐसी समितियों की अत्यन्त आवश्यकता है।
                          

                                                             प्रवीण प्रजापति, ग्वालियर

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