उच्चतम न्यायालय ने अहम फैसले में समलैंगिकता को बताया अपराध

Update: 2013-12-11 00:00 GMT

नई दिल्ली। उच्चतम यायालय ने आज एक अहम फैसले में समलैंगिकता को अपराध करार दिया है। वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए ऐतिहासिक फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न अपीलों पर आज न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव के अलावा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की विशेष अनुमति याचिकाओं पर यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। गौर हो कि बाबा रामदेव और कुछ धार्मिक व गैर सरकारी संगठनों ने दिल्ली हाईकोर्ट के जुलाई 2009 के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि हाईकोर्ट का यह फैसला देश की संस्कृति के लिए खतरनाक साबित होगा। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भारत की संस्कृति पाश्चात्य देशों से अलग है और इस तरह के आदेश देश की सांस्कृतिक नींव हिला सकते हैं। उनकी यह भी दलील थी कि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ये प्रकृति के खिलाफ भी है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के तात्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आपसी सहमति से वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने का आदेश दिया था। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 के तहत सहमति से भी बनाए गए समलैंगिक संबंधों को जुर्म माना गया है।

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