सीमा पार से सरकार प्रायोजित आतंकवाद स्वीकार नहीं: राष्ट्रपति

Update: 2013-10-04 00:00 GMT

ब्रसेल्स। भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सीमा पार से सरकार प्रायोजित आतंकवाद को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंनें कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ शांति तो चाहता है लेकिन वह अपनी भूभागीय अखंडता को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता। चार दिन की  सरकारी यात्रा पर बेल्जियम आए मुखर्जी ने दोहराया कि पाकिस्तान में आतंकवादी अवसंरचना को खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। और सरकार प्रायोजित आतंकवाद को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसलिए हम बार बार कह रहे हैं कि कृपया अपने इलाकों में मौजूद आतंकवादी संगठनों को खत्म करें।’
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की कोई भूभागीय महत्वाकांक्षा नहीं है और वह अपनी भूभागीय अखंडता बनाए रखते हुए अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है। प्रणब ने कहा, ‘वर्ष 1971 में जब इंदिरा गांधी भारत की और जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तो दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हुआ था... 91 हजार बंदी सैनिक, युद्धबंदी लौटाए गए थे।’ राष्ट्रपति ने कहा ‘यह सिर्फ इस सद्भावना को जाहिर करने के लिए किया गया था कि हमारी मूल विदेश नीति में हमारी कोई भूभागीय महत्वाकांक्षा नहीं है, हमारी अपनी विचारधारा किसी देश पर थोपने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है और न ही हमारे कोई वाणिज्यिक हित हैं।’
प्रणब ने कहा, ‘हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। जब मैं विदेश मंत्री था तो अक्सर मैं कहता था कि अगर मैं चाहूं तो अपने मित्रों को बदल सकता हूं लेकिन अपने पड़ोसियों को चाह कर भी नहीं बदल सकता। मेरा पड़ोसी जैसा भी है, मुझे उसे स्वीकार करना ही होगा।’

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