मास्टर ब्लास्टर और रेखा को राज्यसभा ऐसे समय में भेजा जा रहा है, जब सरकार अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। चुनावी पराजय, भ्रष्टाचार के आरोपों, राजनीतिक अनिर्णय और आर्थिक मोर्चे पर असफलता से सरकार पहले ही जूझ रही थी। उस पर संसद से लेकर मीडिया तक ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की तरफ 25 साल पुरानी बोफोर्स तोप घुमा दी। सियासत की पिच पर लगातार गिरते विकेटों से परेशान कांग्रेस ने शतकों का शतक जमाने वाले कीर्तिमानी सचिन तेंदुलकर को पिच पर उतारकर एक दम से पूरा माहौल बदल दिया। पहले सचिन के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की सूचना आई। थोड़ी देर बाद कांग्रेस ने मौका देखकर उन्हें और रेखा को राज्यसभा भेजने का चौका जमा दिया।
खास बात यह रही कि सचिन को राज्यसभा भेजे जाने पर कांग्रेस के बड़े नेता अहमद पटेल और जनार्दन द्विवेदी चुप्पी साधे रहे। यहां तक कि सचिन को सोनिया से मिलाने ले गए संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला तक ने अपने पत्तो नहीं खोले। शुक्ला ने कहा, 'सचिन को 100 शतक पूरे होने पर बधाई देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष ने बुलाया था।' इसी तरह प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकृत सूत्रों ने गृह मंत्रालय को पत्र भेजे जाने की बात को न तो नकारा और न ही पुष्टि की। उनका कहना था कि जब उन्हें औपचारिक रूप से कुछ कहने को होगा, तभी वह बोलेंगे।
सचिन के साथ रेखा को भी राज्यसभा में भेजे जाने के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। बोफोर्स मसले में अमिताभ बच्चन को फंसाए जाने की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की साजिश का पर्दाफाश भी हुआ है। उसके बाद बुधवार को खुद अमिताभ और उनकी पत्नी जया बच्चन ने इस मसले पर बिना किसी का नाम लिए कुछ सवाल उठा दिए, जो सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की तरफ संबोधित थे। जनता के बीच चर्चा का विषय बन रहे इस मुद्दे से ध्यान हटाने के 'सिलसिले' में ही रेखा को राज्यसभा भेजे जाने से जोड़ा जा रहा है।
अमिताभ और रेखा के रिश्ते जगजाहिर रहे हैं। अब राज्य सभा में जया के साथ-साथ रेखा भी होंगी। ध्यान रहे कि संविधान के अनुच्छेद 80 में साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वालों को मनोनीत करने का प्रावधान है। ऐसे 12 सदस्यों को राष्ट्रपति की तरफ से राज्यसभा में नामित किया जाता है, जिसमें पांच स्थान रिक्त थे।