अपहरण और घर से भागने की घटनाओं के लिए सिनेमा जिम्मेदार : अदालत

Update: 2012-12-18 00:00 GMT


नई दिल्ली,। देश में बढ़ रही अपहरण और भागने की घटनाओं के लिए अदालत ने भारतीय सिनेमा के साथ-साथ माता-पिता की लापरवाही को मुख्य कारण माना है। अदालत का कहना है कि माता-पिता अपनी बच्चियों पर नियंत्रण रखने में असफल हो रहे हैं। इसी वजह से अपने पुरूष मित्रों के साथ घर से भागने के मामले बढ़ रहे हैं। अदालत की यह टिप्पणी 14 साल से कम उम्र की लड़की को भगाने के मामले में युवक को दोषी ठहराते हुए की है। अदालत ने कहा कि प्राप्त सबूतों से यह बात की जानकारी मिलती है कि कापसहेड़ा से अगवा होने वाली लड़की आरोपी युवक से लगातार सम्पर्क में थी। वह फोन पर नियमित रूप से उससे बात करती थी । वह अपनी मर्जी से युवक के साथ राजस्थान गई थी। द्वाराका जिला अदालत के अतिरिक्तसत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र भट्ट ने यह कहते हुए आरोपी युवक भगवती प्रसाद को सजा सुनाई। आरोपी पहले ही जेल में सजा की अवधि पूरी कर चुका था। इसलिए उसे रिहा कर दिया गया। अदालत ने प्रसाद पर एक हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया। युवक उत्तराखण्ड का रहने वाला है । 20 जुलाई 2010 को आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रसाद का कोई दोष नहीं है लेकिन कानून के तकनीकी पहलुओं के कारण उसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया गया है। लडकी की उम्र ही एक ऎसा फैक्टर है जिसके कारण उसे दोषी माना गया है। प्रसाद जिस बस का ड्राइवर था उसी बस में लडकी स्कूल जाती थी। इस दौरान दोनों के बीच प्यार हो गया। 2010 में प्रसाद लडकी को राजस्थान के मेंहदीपुर बालाजी ले गया । प्रसाद पर आरोप लगाया गया था कि उसने 13 जुलाई 2010 को लडकी को उस वक्त अगवा कर लिया जब वह ट्यूशन के लिए जा रही थी। बचाव पक्ष का कहना था कि प्रसाद ने लडकी को बहला फुसलाकर नहीं भगाया था । लडकी ने प्रसाद से कहा था कि उसके माता-पिता उसे मारते पीटते हैं। अगर प्रसाद ने उससे शादी नहीं की तो वह जहर खा लेगी । कोर्ट ने प्रसाद को शादी के लिए जबरन अगवा करने के आरोप से मुक्त कर दिया। अदालत कहा कि प्रसाद ने लडकी को अपने दोस्त के घर छोड दिया था । वह खुद एक धर्मशाल में रूका था। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उसने जबरन शादी के इरादे से लडकी को अगवा किया था ।



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