Home > राज्य > अन्य > राजस्थान > राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सियासी संकट के नौ माह बाद फोन टेपिंग की बात स्वीकारी

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सियासी संकट के नौ माह बाद फोन टेपिंग की बात स्वीकारी

गहलोत-पायलट खेमों में बढ़ सकती है तल्खी

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सियासी संकट के नौ माह बाद फोन टेपिंग की बात स्वीकारी
X

File Photo

जयपुर। राजस्थान में गहलोत सरकार पर पैदा हुए सियासी संकट के नौ महीने बाद सरकार ने फोन टेप करने की बात अप्रत्यक्ष तौर पर स्वीकार ली है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ की ओर से पिछले साल अगस्त में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने यह स्वीकारोक्ति की है। सराफ के सवाल का जवाब राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर डाल दिया गया है। इसमें सरकार ने स्वीकार किया है कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। नवंबर 2020 तक फोन टेप के सभी मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है।

सरकार ने अपने जवाब में विधायकों या केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं कही है लेकिन, भाजपा विधायक के सवाल पूछने के समय (अगस्त) को देखते हुए इस जवाब को बागी विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेपिंग से जुड़ा माना जा रहा है। सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों ने जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी और ये विधायक मानेसर के एक होटल में अलग से बाड़ेबंदी में चले गए थे। उसके बाद 15 जुलाई 2020 को गहलोत गुट की तरफ से कुछ ऑडियो टेप जारी किए गए थे। इन ऑडियो टेप में गहलोत खेमे की तरफ से दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत है।

सरकार गिराने और पैसों के लेनदेन -

ऑडियो टेप की बातचीत में सरकार गिराने और पैसों के लेन-देन की बातें थीं। सीएम अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि सरकार गिराने के षड्यंत्र करने में हुए करोड़ों के लेन-देन के सबूत हैं और ये आरोप झूठे हों तो राजनीति छोड़ दूंगा। सियासी संकट के बाद भाजपा विधायक कालीचरण ने सरकार से सवाल के रूप में पूछा था कि क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर? पूरा ब्यौरा सदन की मेज पर रखें।

नियमबद्ध ढंग से हुई रिकार्डिंग -

इस पर गृह विभाग ने जवाब दिया है कि लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टेप किए जाते हैं। भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5—2 और आईटी एक्ट की धारा-69 में दिए प्रावधानों के अनुसार फोन टेप किए जाते हैं। राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टेप किए हैं। सर्विलांस पर लिए गए फोनों की मुख्य सचिव के स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है। अब तक नवंबर तक के फोन सर्विलांस और टेपिंग के मामलों की समीक्षा की जा चुकी है।

गहलोत-पायलट खेमों में बढ़ सकती है तल्खी -

गहलोत सरकार ने पहली बार फोन टेपिंग की बात आधिकारिक रूप से सवाल के जवाब में मानी है। अब भाजपा इस पर सरकार के खिलाफ हमलावर हो सकती है। सरकार के इस कबूलनामे के बाद गहलोत-पायलट खेमों में तल्खी बढऩे के आसार भी है।

Updated : 12 Oct 2021 10:52 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top