आरबीआई ने क्रिप्टोकरंसी को माना जरूरत, क्या जल्द आएगी 'लक्ष्मी'
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नई दिल्ली| बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को कभी लीगल टेंडर मानने से इनकार कर चुकी मोदी सरकार अब मान रही है कि दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलना है तो डिजिटल करंसी को अपनाना ही होगा। रिजर्व बैंक की गुरुवार को आई मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू के नतीजों से इसके साफ तौर पर संकेत मिले हैं। आरबीआई ने बकायदा डिजिटल करंसी को भारत में हकीकत बनाने के लिए एक ग्रुप बनाया है। जून तक यह ग्रुप सुझाव देगा कि भारत में डिजिटल करंसी कैसे और किस तरीके से मुमकिन है। बहरहाल, रिपोर्ट्स की मानें, तो आरबीआई जिस क्रिप्टोकरंसी को लाएगा उसका नाम 'लक्ष्मी' हो सकता है। करंसी बाजार में जानकार मानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी अब पारदर्शी तरीके से लेन-देन के लिए अब जरूरत बन गई है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी या ब्लॉकचैन को प्रोत्साहन नहीं मिला तो इस मामले में भारत दूसरे देशों से पिछड़ सकता है।
कितनी सेफ है क्रिप्टोकरंसी
एंजेल ब्रोकिंग के अनुज गुप्ता का कहना है कि जब सरकार पूरी तरह से कैशलेस इकोनॉमी पर फोकस कर रही है और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में क्रिप्टोकरंसी एक सेफ विकल्प हो सकता है। क्रिप्टोकरंसी एक तरह से सिक्योर डिजिटल ट्रांजैक्शन है। उनका कहना है कि क्रिप्टोकरंसी ब्लॉकचेन पर बेस्ड है, ऐसे में किसी भी तरह के ट्रांजैक्शन के लिए पूरे ब्लॉकचेन को माइन करना पड़ता है। ब्लॉकचेन को हैक करना आसान नहीं होता है।
मौजूदा ट्रेडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक
आरबीआई ने मौजूदा समय में क्रिप्टोकरंसी की ट्रेडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मॉनिटरी पॉलिसी में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा रेग्युलेटेड कोई भी एंटिटी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी खरीदने या बेचने के लिए किसी व्यक्ति या बिजनेस एंटिटी के साथ डील नहीं कर सकेगी। साथ ही ऐसी सर्विस भी उपलब्ध नहीं करा सकेगी। इस आदेश के साथ आरबीआई द्वारा रेग्युलेट ई-वालेट और अन्य एंटिटीज पर क्रिप्टोकरंसीज की बिक्री या खरीद पर रोक लग गई है, वहीं कोई व्यक्ति अपने अकाउंट से क्रिप्टो ट्रेडिंग वालेट्स में पैसा भी ट्रांसफर नहीं कर सकेगा।
क्या होगा 50 लाख निवेशकों का
सरकार ने क्रिप्टोकरंसी में ट्रेडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उन निवेशकों का क्या होगा, जिन्होंने पहले से ही इसमें निवेश किया है। केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि आरबीआई ने जो सर्कुलर जारी किया है, उसमें यह साफ है कि आरबीआई ने मौजूदा निवेश से निकलने के लिए 3 महीने का समय दिया है। ऐसे में निवेशकों के पास यह विकल्प है कि वे जायज तरीके से कैसे मौजूदा निवेश से निकल सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया में अभी 50 लाख लोगों ने क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया है। बिटकॉइन में भारत से कुल निवेश अनुमानित 200 करोड़ डॉलर हो सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई द्वारा दिए हुए समय में अगर निवेशक मौजूदा निवेश से नहीं निकलते हैं तो फिर उनका निवेश रिस्की हो सकता है। एंजेल ब्रोकिंग के अनुज गुप्ता का कहना है कि बिटकॉइन या दूसरी किसी तरह की भी क्रिप्टोकरंसी सरकार के रेग्युलेशन के दायरे में नहीं है। ऐसे में ऐसे निवेश को लेकर सरकार की कोई जिम्मेदारी भी नहीं बनती है। उनका कहना है कि सरकार ने मौजूदा समय में हर तरह की क्रिप्टोकरंसी में ट्रेडिंग को बैन किया है। ऐसे में आरबीआई द्वारा दिए गए समय के अंदर अगर निवेशक बाहर नहीं आते हैं तो उनका पैसा फंस सकता है।