सीबीएसई : सवाल 22 लाख छात्रों के भविष्य, समय व धन के नुकसान का है
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13 दिन कहते रहे “प्रश्न पत्र आउट नहीं हुआ है”, अब कह रहे हैं “रातभर सो नहीं सका”
नई दिल्ली। सेन्ट्रल बोर्ड आफ सेकेन्डरी एजुकेशन ( सी.बी.एस.ई.) की परीक्षा में 12 वीं कक्षा का अर्थशास्त्र का प्रश्नपत्र 26 मार्च को और 10वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा का गणित का प्रश्न पत्र 28 मार्च को आउट हुआ। इससे लगभग 16 लाख से अधिक 10वीं के और लगभग 6 लाख से अधिक, 12वीं के छात्रों को जो तनाव मिला। उनके व उनके परिजनों के समय व धन की बर्बादी हुई| बहुत से छात्रों का दोबारा परीक्षा में यदि पेपर खराब हुआ तो भविष्य बर्बाद होगा। इस सबका कौन जिम्मेदार है ? छात्र , उनके माता-पिता या केन्द्र सरकार। उसका मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उसके मंत्री, अफसर? केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पहले तो इस पर चुप्पी साधे रहे।
संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि आप अपने मंत्रालय के अधीन सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित 12 वीं के अर्थशास्त्र और 10वीं के गणित के पश्नपत्र के आउट होने के बारे में बताइये कि कैसे हुआ ,और अब आप क्या कर रहे हैं? इससे 22 लाख छात्रों को जो समय, धन, छुट्टियों का नुकसान हुआ| उनको और उनके परिजनों को जो परेशानी बढ़ गई है| उनको छुट्टियों में बनाये यात्रा प्रोग्राम रद्द करने पड़े हैं , उससे जो नुकसान हुआ है ,उसकी भरपाई कौन करेगा? इस पर जावड़ेकर वही पुरानी राग अलापते रहे कि फुलप्रूफ व्यवस्था है| फिर भी कैसे हुआ इसकी जांच के लिए एफआईआर दर्ज करा दी गई है। जांच हो रही है। एक हफ्ते के अन्दर फिर से परीक्षा करा दी जायेगी। इसके लिए तिथि जल्दी ही घोषित कर दी जायेगी। कहा जाता है कि लगातार सीबीएसई के पेपर लीक होने को जब 24 लाख प्रभावित छात्रों , उनके परिजनों व विपक्षी दलों ने मुद्दा बना दिया, प्रदर्शन शुरू हो गये, तब छात्रों को परीक्षा में तनाव मुक्त रहने का उपाय बताने वाली पुस्तक एक्जाम वारियर लिखने वाले चिंतित प्रधानमंत्री मोदी ने जावड़ेकर को फोन किया था और यह कैसे हुआ और इसके लिए जो जिम्मेदार हैं उन पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा। कहा जाता है कि इसी के चलते जावड़ेकर को रातभर नींद नहीं आई और वह परेशान रहे क्योंकि मोदी ने परीक्षा के दौरान या कैरियर बनाने के दबाव में किस तरह तनाव मुक्त रहा जा सकता है , कैसे अपना लक्ष्य साधने के लिए लगे रहना चाहिए, कैसे असफलता मिलने पर भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए , के बारे में अपने कई कार्यक्रमों में बोले थे| पुस्तक लिखे हैं, जिसका छात्रों पर अच्छा असर पड़ा रहा है| छात्र उनके मुरीद होने लगे थे। लेकिन उनके इस किये को बहुत बड़ा डेंट पहले एसएससी और उसके बाद सीबीएसई पेपर लीक ने लगा दिया। सीबीएसई पेपर लीक ने तो मानव संसाधन मंत्रालय विकास मंत्रालय व मोदी के प्रिय मंत्री जावड़ेकर की भी छवि धूमिल कर दी। लेकिन अभी तक न तो संबंधित विभाग के प्रमुख, न ही सीबीएसई के प्रमुख से इस्तीफा मांगा गया। हालत यह रही कि 29 मार्च को जब मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर संवाददाता सम्मेलन किया तो कहा – “ पेपर लीक की घटना के बारे में जानकर बुधवार की रात सो नहीं सका। उन्होंने यह भी कहा कि मैं एक पिता हूं| मेरे भी बच्चे हैं| अभिभावक होने के नाते पेपर लीक की घटना से मुझे भी दुख हुआ है”। इस पर बहुत से छात्रों के परिजनों का कहना है कि इस्तीफा दे दीजिए|
मालूम हो कि ये वही जावड़ेकर व इनका मंत्रालय व इनके अफसर हैं जो बीते 13 दिन से कह रहे थे कि पेपर आउट नहीं हुए हैं। अंत में जब छात्रों , उनके परिजनों, मीडिया ने परीक्षा में मिले प्रश्नपत्रों के साथ वाट्सएप पर पहले ही आउट हुए हाथ से लिखे प्रश्न-पत्रों का मिलान करके दिखा दिया , मीडिया में आ गया, तब सीबीएसई ने 28 मार्च 2018 को माना की प्रश्न पत्र आउट हुए हैं। उसके बाद दोबारा परीक्षा कराने की घोषणा हुई । अब सात दरवाजे की सुरक्षा वाला परीक्षा प्रश्नपत्र बनाने का दावा कर रहे हैं। उसी तरह जैसे आधार डाटा की रखवाली का सरकार व विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है। आगे देखिए क्या होता है। इस बारे में कई छात्रों के अभिभावकों का कहना है, “ लेकिन इससे 22 लाख छात्रों , उनके परिजनों को जो नुकसान , तनाव , हुआ उसकी तो जावड़ेकर के रात भर नींद नहीं आने के बयान से भरपाई नहीं होने वाली। जिन छात्रों के ये पेपर अच्छे हुए थे यदि उनके दोबारा पेपर अच्छे नहीं हुए , या उस समय बीमार होने के कारण ठीक से परीक्षा नहीं दे पाये तब, क्या होगा ? कम नम्बर आने से उनका तो भविष्य चौपट हो जायेगा।