पारा 39 के करीब, सबसे गर्म रहा मंगलवार

पारा 39 के करीब, सबसे गर्म रहा मंगलवार
X

पूर्वी भारत से गुजर रहे जेट स्ट्रीम का असर

ग्वालियर|
मार्च के अंतिम दिनों में ही गर्मी का असर तेज होने लगा है। मौसम विज्ञानी इसके पीछे पूर्वी भारत से गुजर रहे ‘जेट स्ट्रीम’ का असर बता रहे हैं। इसी के असर से ग्वालियर चम्बल सहित देश के अन्य भागों में भी दिन का तापमान सामान्य से काफी ऊपर जा रहा है। ग्वालियर में 38.8 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ मंगलवार का दिन इस मौसम में अब तक का सबसे गर्म रहा।

इससे पहले यहां सर्वाधिक 37.8 डिग्री सेल्सियस तापमान 13 मार्च को दर्ज किया गया था। पिछले साल 2017 की बात करें तो मार्च के अंतिम दिनों में तापमान 41 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इस बार भी गर्मी के हालात पिछले साल जैसे ही बनते दिख रहे हैं। हालांकि अभी रात का तापमान सामान्य स्तर पर बना हुआ है, जिससे रात में गर्मी से राहत है। मंगलवार को मौसम शुष्क रहा। इसके चलते सुबह से ही तेज धूप निकली।

इसके साथ ही दिन भर चार से छह किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से उत्तर पश्चिमी यानी कि राजस्थान की ओर से गर्म हवाएं चलती रहीं। इस वजह से पिछले दिन की अपेक्षा मंगलवार को अधिकतम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 38.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो औसत से 3.7 डिग्री सेल्सियस अधिक है, जबकि न्यूनतम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस कमी के साथ 14.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो औसत से 2.8 डिग्री सेल्सियस कम है। इसी प्रकार हवा में नमी सुबह 51 और शाम को 21 फीसदी दर्ज की गई, जो सामान्य से क्रमश: 11 व 02 फीसदी अधिक है। स्थानीय मौसम विज्ञानी उमाशंकर चौकसे ने बताया कि पूर्वी भारत में जेट स्ट्रीम पास हो रहा है और राजस्थान की ओर से गर्म हवाएं आ रही हैं। इसी कारण दिन का तापमान बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में अब दिन के साथ रात का तापमान भी बढ़ेगा।

क्या है जेट स्ट्रीम
जेट स्ट्रीम या जेट धाराएं ऊपरी वायुमंडल में विशेषकर समताप मंडल में तेज गति से बहने वाली हवाएं हैं। इनके प्रवाह की दिशा जल धाराओं की तरह ही निश्चित होती है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम का नाम दिया गया है। पूर्वी जेट हवा गर्म होती है, इसलिए इसके प्रभाव से सतह की हवा भी गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है। इससे पश्चिमोत्तर भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमी युक्त उच्च वायुदाब की हवाएं चलती हैं। अरब सागर से चलने वाली यही नमी युक्त हवा भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के नाम से जानी जाती है।

Next Story