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भारत में शोध का न्यूनतम योगदान चिंता का विषय

भारत में शोध का न्यूनतम योगदान चिंता का विषय
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नई दिल्ली। भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम) के शनिवार को यहां आयोजित 11वें उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि देश में शोध की स्थिति अच्छी नहीं है और यह चिंता का विषय है।

मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने देश के विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पीएचडी धारकों की बड़ी संख्या के बावजूद शोध में भारत का योगदान न्यूनतम है। उन्होंने कहा कि भारत में शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आज भी देश में हो रहे शोध की न केवल मात्रा, बल्कि उसकी गुणवत्ता को लेकर हम अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हैं।

सत्यपाल ने व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा हासिल करने का मकसद केवल नौकरी करना ही नहीं होनी चाहिए| उन्होंने जीवन में शिक्षा की जरूरत बताते हुए कहा कि शिक्षा के बिना हम जीवन में अपराध, गरीबी और जातिवाद की समस्या को हल नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कुशल शिक्षकों को गुणवत्तापरक शिक्षा की राह में बड़ी बाधा करार देते हुए कहा कि 21 हजार शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में से केवल 10 प्रतिशत ही अच्छे हैं। मंत्री ने देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली में संस्कार की आवश्यकता पर जोर दिया है।

Updated : 17 Feb 2018 12:00 AM GMT
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