इतिहास बनाने से चूकी संसद

मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ और बराबरी दिलाने के लिए लाए गए तीन तलाक विरोधी विधेयक को पारित किए बिना राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई| फलस्वरूप संसद अपने शीतकालीन सत्र में इतिहास रचने के स्वर्णिम मौके से चूक गई।
तीन तलाक विरोधी विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित किए जाने के बाद बुधवार 3 जनवरी को राज्यसभा में पेश किया गया था। इस दौरान सरकार ने इस विधेयक पर चर्चा किए जाने का आग्रह किया जबकि कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष विधेयक को मूल रूप में पारित किए जाने के खिलाफ था। विपक्ष की मांग थी कि विधेयक को संसदीय पड़ताल के लिए प्रवर समिति को सौंपा जाए। सरकार को इस पर आपत्ति थी| इस कारण सदन में गतिरोध कायम हुआ और व्यवधान के कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा।
सरकार का कहना था कि उच्चतम न्यायालय तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर 6 महीने के लिए प्रतिबंधित कर चुका है। संसद को 22 फरवरी तक इस संबंध में आवश्यक कानून बनाना है। सरकार ने विपक्ष से आग्रह किया कि वह लोकसभा में पारित इस विधेयक को उसी रूप में अपनी मंजूरी दे। उधर, कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं की दलील थी कि वे तीन तलाक की प्रथा के विरोधी हैं लेकिन इसे दण्डनीय अपराध बनाए जाने के खिलाफ हैं।
विधेयक के संबंध में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मतभेद समाप्त नहीं हो पाए और शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आज इस विधेयक को नहीं लिया जा सका। अब सबकी नज़रें बजट सत्र पर होंगी। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में सत्तापक्ष का बहुमत नहीं है| विधेयक पारित कराने के लिए उसको विपक्ष के सहयोग की दरकार है।