बूढ़ी हो गई हूँ मैं...

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बूढ़ी हो गई हूँ मैं : पहले सड़कों पर फर्राटे भरती थी मैं। खूब सवारियां ढोती और सड़कों पर दौड़ती थी। बूढ़ी हो गई और दौड़ते हुए हफियाने लगी तो मालिक ने बेच दिया। ग्वालियर की तेजेन्द्र नाथ की गली में रहने वाले सुनील ओझा ने मुझे खरीद लिया और पिता का नाम ‘राम भरोसे’ देकर मुझे मासूमों को ढोने के लिए लगा दिया। 20 साल पुरानी हो चुकी हूँ। इंदौर की घटना से सहम गई हूं। मासूमों पर मंढराते खतरे को देखते हुए मैं बार-बार खराब भी हुई और मालिक को अपने बुढापे का एहसास भी दिलाया, लेकिन मालिक है कि मानने को तैयार ही नहीं। एक सैकड़ा बच्चों को खतरे में डालकर मुझे सड़कों पर दौड़ा रहा है।
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