अपर आयुक्त ने पाक-साफ घोषित कर दिया विवादास्पद बिल्डर को
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डायवर्सन शुल्क 16 लाख से घटाकर किया 4 लाख
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। बहुचर्चित राजकमल बिल्डर मामले में अपर आयुक्त द्वारा जारी एक आदेश से नया मोड़ आ गया है। एसडीएम और अपर कलेक्टर के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर संभागीय अपर आयुक्त डी.डी. अग्रवाल ने न सिर्फ डायवर्सन शुल्क को 16 लाख से घटाकर मात्र 4 लाख रुपये कर दिया है, बल्कि व्यवसायिक डायवर्सन करने की अनुमति भी दे दी है। इस आदेश से बिल्डर को बड़ा लाभ मिलने मिलने वाला है, क्योंकि आदेश में बिल्डर के खिलाफ थाना यूनिवर्सिटी में दर्ज एफआईआर और कलेक्टर द्वारा सर्वे क्र. 200 की भूमि को वन एवं राजस्व की घोषित करने को पूरी तरह नजरअंदाज कर बिल्डर को पाक-साफ होने का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है। जानकारी के मुताबिक अपर आयुक्त ग्वालियर संभाग डी.डी.अग्रवाल ने 2 जनवरी को प्र.क्र. 493/16-17/ अपील में राजकमल बिल्डर द्वारा कमल शर्मा पुत्र रमेश शर्मा निवासी विकास नगर विरुद्ध एसडीएम झांसी रोड के मामले में 16 लाख 37 हजार 388 रुपये के अर्थदण्ड को गलत करार देते हुए इस राशि को 4 लाख 9 हजार 347 करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है कि प्रकरण में ऐसा कोई तथ्य/साक्ष्य प्रकट नहीं होता कि अपीलार्थी नियमों के विरुद्ध काम करने का आदि रहा हो अथवा ऐसी कोई विषम परिस्थितियां भी परिलक्षित नहीं होतीं कि अधिकतम बाजारू मूल्य का अर्थदण्ड लगाया जाए। इस पर विचारण और अधीनस्थ न्यायालय ने गंभीरता से विचार नहीं किया। अपर आयुक्त ने निर्देशित किया है कि वादित भूखण्ड के व्यावसायिक परिवर्तन हेतु आवेदन प्रस्तुत करने उपयोगिता वास्तविक क्षेत्रफल आदि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विधि अनुसार व्यपवर्तन की कार्यवाही की जाए।
बिल्डिंग रही विवादास्पद
कलेक्ट्रेट से लगे ओहदपुर के सर्वे क्र. 200 की 9786 वर्गफीट भूमि पर आवासीय की अनुमति लेकर 100 दुकानें बनाकर रजिस्ट्री करने का मामला पिछले दो-ढाई साल से गरमाया हुआ है और तहसीलदार द्वारा कुर्की की कार्रवाई कर तालाबंदी की जा चुकी है। मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन रहा, लेकिन बिल्डर को राहत नहीं मिली, इस बीच नगर निगम और टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग ने अनुज्ञाएं निरस्त कर दीं। तत्कालीन निगमायुक्त अनय द्विवेदी ने मई 2017 में बिल्डर के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई। हाल ही में कलेक्टर राहुल जैन ने इस क्षेत्र की 170 वीघा भूमि को वन और राजस्व की घोषित किया है। जिसमें सर्वे क्र.200 भी है।
दो तरह के आदेश
मजेदार बात यह है कि श्री अग्रवाल द्वारा जारी आदेश पहले बिना हस्ताक्षरों के वाट्सएप पर आया, फिर बाद में वही आदेश हस्ताक्षरों से जारी हुआ। इन दोनों ही आदेशों की प्रति स्वदेश के पास है।
इनका कहना है
बिल्डर के खिलाफ यूनिवर्सिटी थाने में एफआईआर और कलेक्टर द्वारा सर्वे क्र. 200 को वन भूमि घोषित करने जैसी कोई जानकारी मुझे नहीं है। अपर कलेक्टर और एसडीएम की ओर से भी कोई कमेंट नहीं आया। यदि आदेश में कोई विसंगति है तो कलेक्टर उसे पुर्नअवलोकन के लिए भेज सकते हैं।
डी.डी. अग्रवाल,
अपर आयुक्त-ग्वालियर संभाग
अपर आयुक्त डी.डी. अग्रवाल के आदेश आने के कारण अब कलेक्टर अथवा अन्य सभी आदेश स्वत: समाप्त हो गए हैं। आखिर सच्चाई की जीत होती है। यूनिवर्सिटी थाने में एफआईआर के बाद निगम से एक कागज लेकर कोई वहां नहीं पहुंचा, वह भी खत्म हो जाएगी।
कमल शर्मा,
पार्टनर- राजकमल बिल्डर